Advertisement

Uttarakhand: दिव्यांग होप डेविड की टूटी होप, पढ़ें पूरी खबर

Share
Advertisement

दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम में जो भी प्रावधान किए गए हों, लेकिन स्कूलों का इन बच्चों के प्रति रवैया कितना संवेदनहीन है। ये देहरादून में देखने को मिला है। जहां अतर्राष्ट्रीय स्तर की दिव्यांग खिलाड़ी बच्ची को किसी स्कूल में एडमिशन नहीं मिला। और मजबूरी में उसे देहरादून छोड़कर एडमिशन के लिए बैंगलोर जाना पड़ा है।

Advertisement

दिव्यांग बच्ची होप डेविड! जो अंतर्राष्ट्रीय व्हीलचेयर रेसर और व्हीलचेयर टेनिस प्लेयर है। होप को स्पाइना बिफिडा नाम की बीमारी के कारण रीढ़ की हड्डी में समस्या है और इसलिए वो बचपन से ही ह्वीलचेयर के सहारे है। होप डेविड के माता पिता देहरादून के रहने वाले हैं। जिन्होंने अपनी बच्ची के लिए देहरादून में शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने के कारण गुड़गांव के स्कूल में उसका दाखिला कराया था, लेकिन होप डेविड की छठी कक्षा की शिक्षा पूरी होने के बाद उसके माता पिता अपने शहर देहरादून वापस आए।

जिससे उसकी आगे की पढ़ाई देहरादून में हो सके। लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी होप डेविड को देहरादून के किसी स्कूल में एडमिशन नहीं मिला। स्कूलों के प्रबंधन ने दिव्यांगों के लिए रैंप, लिफ्ट और दूसरी व्यवस्थाएं नहीं होने के कारण गिनाकर होप डेविड को एडमिशन नहीं दिया। जिसके कारण होप के माता पिता काफी निराश हैं। होप की मां का कहना है कि वो अपने शहर में अपनी बच्ची को पढ़ाना चाहती थीं, लेकिन दुखद है कि उसे यहां किसी भी स्कूल में एडमिशन नहीं मिल पाया।

होप को देहरादून में एडमिशन नहीं मिलने पर उसके माता पिता ने मजबूरन बैंगलोर के एक स्कूल में उसका दाखिला कराया है। अपने शहर में एडमिशन नहीं मिलने से होप दुखी है। होप का कहना है कि वो यहीं आगे की पढ़ाई और ट्रेनिंग करना चाहती थी, लेकिन अब उसके पास बैंगलोर जाने के सिवाय कोई चारा नहीं।

होप के माता पिता ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। जिस पर आयोग ने गंभीरता दिखाते हुए सभी स्कूलों को नोटिस भेजा है। आयोग की अध्यक्ष ने इस पूरे मामले को बेहद शर्मनाक बताते हुए डीजी शिक्षा को पत्र लिखकर सभी स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के लिए की गई व्यवस्थाओं का ब्योरा तलब किया है। जिससे आयोग इन स्कूलों की व्यवस्थाओं की जांच कर सके।

होप का अर्थ है उम्मीद। और होप डेविड अपने नाम के अनुसार ही दिव्यांगता की चुनौती को पीछे छोड़कर आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर की व्हीलचेयर रेसर बनी हैं। लेकिन ये सचमुच बेहद दुखद और निराशाजनक है कि स्कूली शिक्षा का केंद्र कहे जाने वाले देहरादून के किसी भी स्कूल में होप को एडमिशन नहीं मिला। होप का देहरादून से निराश होकर बैंगलोर जाना एक नजीर है जो दर्शाता है कि दिव्यांगों को अधिकार देने के दावे और धरातल की हकीकत में आज भी कितना बड़ा फासला है। और इस सिस्टम में सुधार के लिए कितने कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

ये भी पढ़ें:UP: गुटखा बनाने के कारखाने में पुलिस का छापा, गुटखा पैकिंग की मशीन बरामद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *