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UPPSC लेक्चरर लाइब्रेरी के 106 पदों पर होने जा रही बंपर  भर्ती, जानिए कब जारी होगा नोटिफिकेशन

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दरअसल उच्च शिक्षा निदेशालय ने महाविद्यालयों से रिक्त पदों का ब्योरा मांगा था, क्योंकि प्रदेश के 170 राजकीय महाविद्यालयों में 2011 के बाद से लाइब्रेरियन पद पर भर्ती नहीं हुई है।

लेक्चरर लाइब्रेरी
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उत्तर प्रदेश के राजकीय महाविद्यालय में प्रवकता पुस्तकालय (UPPSC Lecturer Librarian vacancy) के 106 पदों पर भर्ती होने जा रही है। एक साल पहले तक लोक लेवा आयोग की ओर से लाइब्रेरियन के पद पर भर्ती होनी थी, जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइडलाइन के अनुसार बदलकर लेक्चरर लाइब्रेरी का पदनाम दिया गया है।

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दरअसल उच्च शिक्षा निदेशालय ने महाविद्यालयों से रिक्त पदों का ब्योरा मांगा था, क्योंकि प्रदेश के 170 राजकीय महाविद्यालयों में 2011 के बाद से  लाइब्रेरियन पद पर भर्ती नहीं हुई है। निदेशालय को 106 रिक्त पदों की सूचना मिली है। जबकि तकरीबन दो दर्जन कॉलेजों में लेक्चरर लाइब्रेरी पद सृजित नहीं हैं। जिसको लेकर महाविद्यालयों ने उच्च शिक्षा निदेशालय को खाली पड़े पदों की डिटेल में जानकारी दे दी है।

सूत्रों के अनुसार इसके लिए नए सर्विस रूल भी बनाऐ जा रहे है। उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से संशोधित गाइडलाइन और रिक्त पदों का ब्योरा जल्द शासन को भेजा जाएगा। मंजूरी के बाद शासन स्तर से लोक सेवा आयोग को रिक्विजिशन भेजा जाएगा।

उच्च शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के 321 अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों से भी प्रवक्ता पुस्तकालय के रिक्त पदों की जानकारी मांगी है। हालांकि अब तक तकरीबन आठ कॉलेजों में ही लगभग 10 पद खाली होने की सूचना मिली है। अब दोबारा पत्र जारी कर रिक्तियों का ब्योरा मांगने की तैयारी है। सूचना मिलने पर उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को भर्ती का अधिचायन भेजा जाएगा।

साल 2012 से नहीं हुई कोई भर्ती

यूपी की तत्कालीन सरकार ने 13 मई 2009 को इन कॉलेजों में लाइब्रेरियन की अपॉइंटमेंट पर रोक लगा दी थी। क्योंकि पहले मैनेजर अपने स्तर पर लाइब्रेरियन की भर्ती कर लिया करते थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लाइब्रेरियन को 1 जनवरी 1986 से यूजीसी UGC की ओर से निर्धारित सैलरी दी जा रही है। जिस वजह से यूजीसी की सैलरी पाने वाले पदों पर कॉलेज प्रबंधन अपॉइन्ट नहीं कर सकता है।

उसके बाद नवंबर 2012 में कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश हायर एजुकेशन सर्विस कमिशन को नियुक्ति की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन उसके बाद से हायर एजुकेशन डायरेक्टरेट ने न तो रिक्विजिशन मांगा और न ही अपॉइंटमेंट की प्रक्रिया शुरू हो सकी।

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