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Rajasthan News: राजीव गांधी इंटर्नशिप योजना पर लगी रोक, कांग्रेस ने जताई नाराजगी, BJP पर साधा निशाना

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Rajasthan News:

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सोमवार को राजस्थान(Rajasthan News) में भाजपा की नई सरकार द्वारा राजीव गांधी युवा इंटर्नशिप योजना को बंद कर दिया गया है। इस इंटर्नशिप को राजीव गांधी के कार्यकाल से ही प्रदेश में चलाया जा रहा है। ऐसे में नई सरकार द्वारा इस योजना को बंद किए जाने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर निशाना साधा है।

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योजना बंद पर जाहिर की नाराजगी

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पूर्व में ट्विटर एक्स पर पोस्ट करते हुए प्रदेश के पूर्व मुख्मंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। इस संबंध में मौजूदा सरकार के खिलाफ पोस्ट लिखते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की।

पूर्व सीएम गहलोत ने प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम में सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने के लिए कार्य कर रहे करीब 5,000 युवाओं की सेवाएं समाप्त करना उचित नहीं है।ये युवा सरकार की योजनाओं के बारे में जागरूक हैं एवं सरकार की काफी मदद कर रहे हैं.’

उन्होनें अपने इस पोस्ट में आगे लिखते हुए कहा कि ‘नई सरकार को इस योजना के नाम से परेशानी थी तो राजीव गांधी सेवा केन्द्रों की भांति नाम बदलकर अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर कर सकती थी। जबकि प्रदेशवासी जानते हैं कि पिछले कार्यकाल में BJP सरकार द्वारा अस्थायी तौर पर लगाए गए पंचायत सहायकों को हमारी सरकार ने स्थायी कर उनका वेतन बढ़ाया था. ऐसी ही सकारात्मक सोच से नई सरकार को भी राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम को जारी रखना चाहिए’

इस योजना को बंद किए जाने को लेकर ना सिर्फ पूर्व सीएम बल्कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी नई सरकार पर निशाना साधा है। उन्होनें कहा कि इस स्कीम को बंद कर युवाओं को बेरजगारी का गिफ्ट दिया है।

बेरोजगारी का गिफ्ट दिया युवाओं को

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कार्यक्रम बंद कर के भाजपा ने युवाओं को बेरोजगारी का गिफ्ट दिया है. एक्स पर उन्होंने लिखा कि ‘राजस्थान की भाजपा सरकार ने नए साल से पहले हजारों राजीव गांधी युवा मित्रों का इंटर्नशिप कार्यक्रम समाप्त कर उन्हें बेरोजगारी का गिफ्ट दिया है।

डोटासरा ने आगे कहा कि ‘अगर भाजपा की राजनीतिक दुर्भावना सिर्फ नाम से थी, तो वो नाम बदल देते लेकिन युवाओं को बेरोजगार क्यों किया? जबकि पिछली भाजपा सरकार में पंचायत सहायकों की नियुक्ति हुई थी, हमारी सरकार आने पर उनका मानदेय बढ़ाकर उन्हें स्थाई करने के प्रावधान का प्रयास किया गया. भाजपा और कांग्रेस की नीति में यही फर्क है।’

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