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Stubble Burning: पंजाब के किसानों से शीर्ष अदालत की अपील, धान की खेती की जगह ढूंढे अन्य विकल्प

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Stubble Burning: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 07 नवंबर को पंजाब के किसानों को अपने क्षेत्रों में पराली जलाने से रोकने के लिए और धान की खेती से राज्य के जल स्तर को प्रभावित करने की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए धान के स्थान पर वैकल्पिक फसलें उगाने का आह्वान किया। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि अगले साल पराली जलाने से रोकने के लिए धान के वैकल्पिक फसलों पर स्विच करना आवश्यक है। वहीं कोर्ट ने कहा कि स्विचओवर तभी हो सकता है जब किसानों को धान के लिए नहीं बल्कि वैकल्पिक फसलों की खेती के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिया जाए।

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Stubble Burning: वैकल्पिक फसल के लिए मिले एमएसपी

न्यायालय ने कहा कि “धान की बुआई जो स्थानीय फसल नहीं है” और जिसका “स्थानीय स्तर पर उपभोग नहीं किया जाता” आदेश में कहा गया है, “बदलाव केवल तभी हो सकता है जब एमएसपी धान के लिए नहीं बल्कि वैकल्पिक फसल के लिए दिया जाता है, जिसे केंद्र सरकार किसी भी मामले में पारंपरिक फसलों को उगाने और उपयोग करके प्रोत्साहित करना चाहती है।” बता दें कि अदालत विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों से संबंधित एक मामले पर सुनवाई कर रही थी।

धान की खेती के कारण जल स्तर में गिरावट

शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह के सुझावों पर आईं है, जिन्होंने कहा था कि धान की खेती के कारण राज्य में जल स्तर में भारी गिरावट आ रही है। गुरमिंदर सिंह ने सुझाव दिया था कि धान की खेती को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना चाहिए और इसके स्थान पर अन्य फसलें उगाई जानी चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को धान के बजाय वैकल्पिक फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का विकल्प तलाशना चाहिए।

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