सीएम मान ने पंजाब में हुए बादल सरकार के भ्रष्टाचार की जांच की शुरू, पूर्व अकाली मंत्री को भी मामले के लिए किया तलब
भगवंत मान पंजाब को भ्रष्टाचार मुक्त करने में लगातार प्रयासरत है अब सीएम मान ने भ्रष्टाचार के उन मामलों के बाहर निकालना शुरू कर दिया गया जिन्हें पहले दबा लिया गया था। सीएम मान ने पहले उन मामलों की जांच करनी शुरू कर दी है जो अकाली भाजपा के समय में हुए थे। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो (वीबी) ने अकाली-भाजपा के 10 साल के शासन से संबंधित कथित करोड़ों रुपये के सिंचाई घोटाले में पूछताछ के लिए पूर्व अकाली मंत्री शरणजीत सिंह ढिल्लों और पूर्व मुख्य सचिव सर्वेश कौशल को तलब किया है। वीबी ने उन्हें मोहाली स्थित अपने मुख्यालय में जांच में शामिल होने का निर्देश दिया है।
भगवंत मान ने जबसे पंजाब की कमान मार्च के महीने से संभाली है तबसे वीबी ने जोरदार तरीके से पुराने हुए भ्रष्टाचार मामले की जांच फिर से शुरू कर दी है। ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुरिंदर ने पूछताछ के दौरान कथित तौर पर कहा था कि उसने तीन आईएएस अधिकारियों को सात-सात करोड़ रुपये दिए थे। विजिलेंस ने हाल ही में पूर्व आईएएस अधिकारी काहन सिंह पन्नू से करीब पांच घंटे तक पूछताछ की थी।
पंजाब सरकार ने अकाली भाजपा के समय में अमृतसर के सरहद पर स्थित गांव रानियां में कृषि विभाग द्वारा खरीदी गई 700 एकड़ जमीन में बरती गई अनियमितताओं की भी जांच करने की बात कही है. पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा है कि साल 2008 में 32 करोड़ रुपये की लागत से बीज फार्म के लिए सरकार द्वारा खरीदी गई इस जमीन की जांच करवाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि बादल सरकार के समय जब सुच्चा सिंह लंगाह कृषि मंत्री और काहन सिंह पन्नू अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर थे, उस समय पर यह जमीन बहुत महंगे मूल्य पर खरीदी गई. उन्होंने कहा कि यह जमीन रावी नदी और सरहद पर लगी कंटीली तार के भी पार है और सरकार ने साल 2008 में साढ़े चार लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से यह जमीन खरीदी थी।
बताया गया कि पूर्व में गिरफ्तार ठेकेदार गुरिंदर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल-भाजपा शासन के दौरान सिंचाई विभाग द्वारा स्वीकृत विकास और मरम्मत कार्य का टेंडर दिलाने के लिए कुछ आईएएस अधिकारियों और नेताओं को घूस देने का आरोप लगाया है. यह घोटाला पहली बार कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान सामने आया था. हालांकि इस मामले में जांच नहीं हो पाई थी और यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।