नारायण राणे की जमानत पर मजिस्ट्रेट ने क्या रखी शर्ते
मुंबई: मंगलवार को केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को ‘थप्पड़’ वाली टिप्पणी मामले में जमानत मिल गई है। मामले में जमानत देने वाले मजिस्ट्रेट ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ उनकी ‘थप्पड़’ वाली टिप्पणी के आधार पर दर्ज FIR की वजह से उनकी गिरफ्तारी हुई है। हालांकि मजिस्ट्रेट ने कहा कि हिरासत में उनसे पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं थी।
नारायण राणे की जमानत पर मजिस्ट्रेट ने शर्त रखी है कि उन्हें 15,000 रुपये का क्षतिपूर्ति बांड, कोर्ट को वचन या भरोसा दिलाना कि आरोपी द्वारा समान अपराध नहीं किया जाएगा। साथ ही उन्हें लगातार दो सोमवार को रायगढ़ पुलिस के समक्ष पेश होना होगा। इसके अलावा पुलिस को आवाज के नमूने देने होंगे और आरोपी द्वारा गवाह पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं डाला जाएगाा।
मजिस्ट्रेट ने अपने फैसले में लिखा, “यह अभियोजन का मामला है कि आरोपी ने मीडिया के साथ एक साक्षात्कार में उपरोक्त बयान दिया। निश्चित रूप से आरोपी को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री होने के नाते पुलिस के साथ रहना चाहिए था। इसके अलावा, राजनीतिक दल के सदस्यों में से एक के द्वारा वर्तमान आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है। गिरफ्तारी और कोर्ट में चर्चा किए गए कारणों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने पाया कि गिरफ्तारी उचित है।”
कोर्ट: हिरासत में सौंपना आवश्यक नहीं लगता
अदालत ने कहा कि आरोपी के बयान सोशल मीडिया पर पहले से ही वायरल थे इसलिए अपराध की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, मुझे हिरासत में सौंपना आवश्यक नहीं लगता।
अपने आदेश में कोर्ट ने आगे कहा कि राणे के वकील राजेंद्र शिरोडकर ने कहा है कि उन्होंने अपने मुवक्किल को भविष्य में इस तरह के बयान नहीं देने की सलाह दी थी। उन्होंने आरोपी की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए अदालत को इस बाबत हलफनामा देने से इनकार कर दिया।
आपको बता दें कि महाड एमआईडीसी पुलिस ने भाजपा नेता और केंन्द्रीय मंत्री नारायण राणे को आईपीसी की धारा 153 ए(1) (दंगा भड़काना) 505(2), 504, 506 (आपराधिक धमकी), 189 (लोक सेवक को नुकसान पहुंचाने की धमकी) के तहत गिरफ्तार किया था।