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शिल्पा शेट्टी को हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, चाहती थी प्रेस पर लगाम और 25 करोड़ का हर्जाना

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मुम्बई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिल्प शेट्टी के मीडिया पर उनकी ख़बर देने पर रोक लगाने की मांग को ख़ारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि गिरफ़्तार व्यवसायी राज कुंद्रा की पत्नी और अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के बारे में ख़बर देने पर रोक लगाने से प्रेस की स्वतंत्रता पर गंभीर असर पड़ेगा।

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अदालत ने शिल्पा शेट्टी की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि प्रेस में उनके और उनके परिवार के बारे में मानहानि करने वाले लेख प्रकाशित किए जा रहे हैं।

उनकी ओर से किए गए एक अंतरिम आवेदन में मीडिया को “ग़लत, झूठे, विद्वेषपूर्ण, भड़काऊ और मानहानि करने वाली“ सामग्रियां छापने पर रोक लगाने का आग्रह किया था।

जस्टिस गौतम पटेल ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा, “अच्छी और बुरी पत्रकारिता क्या है, इसे लेकर न्यायपालिका की एक सीमा है क्योंकि ये प्रेस की स्वतंत्रता का एक नज़दीकी मामला हो सकता है।”

साथ ही अदालत ने ये भी कहा कि शिल्पा शेट्टी ने जिन लेखों का ज़िक्र किया है उनसे मानहानि प्रतीत होती नहीं दिखाई देती।

पुलिस सूत्रों के हवाले से लिखी गई रिपोर्ट मानहानि नहीं

अदालत ने ये कहते मानहानि वाली बात को ख़ारिज कर दिया था कि ज़्यादातर छपे लेखों में पुलिस सूत्रों के हवाले से ख़बर दी गई थी। जिसपर अदालत ने कहा, “पुलिस सूत्रों के आधार पर लिखी गई रिपोर्ट मानहानि वाली नहीं हो सकती है। अगर बात आपके घर के अंदर की होती और कोई वहां नहीं होता तो बात अलग थी। मगर प्रेस में ये जो बातें लिखी गई हैं वो दूसरों की मौजूदगी में हुईं हैं, तो ये मानहानि कैसे हो सकती है?“

जस्टिस पटेल ने अदालत में ये सवाल भी पूछा, “ऐसा मुमकिन नहीं है कि अगर आप मेरे बारे में सब अच्छा-अच्छा नहीं छाप सकते तो आप कुछ भी नहीं छाप सकते। ऐसा आखर कैसे हो सकता है?“

शिल्पा शेट्टी ने कोर्ट को दायर किए गए अपने आवेदन में ये कहते हुए 25 करोड़ रुपये के हर्जाने की भी मांग की थी कि मीडिया संगठनों और गूगल, फ़ेसबुक, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की वजह से उनकी प्रतिष्ठा को भारी नुक़सान पहुंचा है।

इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के लिए ये निर्देश जारी करने की भी मांग की थी कि सभी प्लेटफॉर्मस् को ये आदेश दिया जाए कि वो अपने यहां से उनके और उनके परिवार के बारे में मानहानि करने वाली सामग्रियां हटा दें।

इस बारे में जस्टिस पटेल ने कहा, “आपकी ओर से गूगल, यूट्यूब और फ़ेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों के संपादकीय सामग्रियों को नियंत्रित करने की गुजारिश ख़तरनाक बात है।“

हालाँकि, जस्टिस पटेल ने यूट्यूब के तीन निजी चैनलों पर तीन लोगों के वीडियो ये कहते हुए हटवाने और फिर से अपलोड नहीं करने का निर्देश दिया है कि उनका इरादा सच्चाई को सामने लाना नहीं है।

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