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मोरबी पुल हादसा : Oreva कंपनी का पुराना लेटर आया सामने, जानें पूरी बात

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गुजरात के मोरबी में पुल हादसे के बाद से जांच तेजी से चल रही है। इस बीच इस पुल की मरम्मती करने वाली कंपनी का एक कथित तौर पर एक लेटर सामने आया है। इस लेटर में कंपनी ने कहा है कि पुल की मरम्मत के लिए कोई सामान नहीं खरीदा गया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट में इस पत्र को लेकर बताया गया है कि जनवरी 2020 में यह खत मोरबी के जिला कलेक्टर को कंपनी की तरफ से भेजा गया था। इस खत में कहा गया था, ‘हम सिर्फ अस्थायी रिपेयरिंग कर इस सस्पेन्शन ब्रिज को खेल रहे हैं।’ यह वही निजी कंपनी है जिसे पुल के पुनर्निमाण का जिम्मा सौंपा गया था। पुनर्निमाण के कुछ ही दिनों बाद बीते रविवार को  मोरबी ब्रिज धाराशायी हो गया था और इस भयानक हादसे में 135 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।

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इस लेटर के हवाले से कहा जा रहा है कि कंपनी ने 15 सालों के लिए ब्रिज की मरम्मती और रखरखाव के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। यह कॉन्ट्रैक्ट मोरबी म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन और अजंता ओरेवा कंपनी के बीच मार्च 2022 से 2037 तक वैलिड था। इस लेटर में जो बातें कही गई हैं उससे पता चलता है कि पुल के रखरखाव को लेकर स्थायी कॉन्ट्रैक्ट चाहती थी। इस ग्रुप ने कहा था कि जब तक उन्हें स्थाई कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिल जाता तब तक वो पुल की मरम्मती अस्थायी तौर पर ही करेंगे। इस लेटर में कहा गया था कि सिर्फ अस्थायी मरम्मती के बाद ही वो इस पुल को खोल देंगे। इसमें यह भी कहा गया है कि फर्म ने पुल की मरम्मती के लिए किसी भी सामान का ऑर्डर नहीं किया है और वो अपना काम तब ही पूरा करेंगे जब उनकी मांग पूरी हो जाएगी।

कंपनी ने प्रशासन से कहा था कि वो इस पुल को खोलने जा रहे हैं और वो भी सिर्फ अस्थायी मरम्मती के बाद। प्रशासन इस पूरे मामले को सुलझाए। याद दिला दें कि इससे पहले म्यूनिसिपल चीफ ऑफिसर संदीप सिंह ने कहा था कि ओरेवे कंपनी ने एग्रीमेंट की शर्तों का उल्लंघन किया और सिर्फ 5 महीने में ही पुल को खोल दिया था। कंपनी ने निगम को भी इसकी सूचना नहीं दी थी।

4 पुलिस हिरासत में, 5 न्यायिक हिरासत में

इधर गुजरात के मोरबी में केबल पुल हादसे के सिलसिले में गिरफ्तार नौ लोगों में से चार लोगों को एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मंगलवार को पुलिस हिरासत में जबकि अन्य पांच को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। अदालत ने पुल की मरम्मत के लिए जिम्मेदार कंपनी ओरेवा ग्रुप के दो प्रबंधकों और दो सब-कांट्रैक्टर को शनिवार तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया। अभियोजक एच. एस. पांचाल ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एम. जे. खान ने सुरक्षा गार्ड और टिकट बुक करने वाले क्लर्क सहित गिरफ्तार पांच लोगों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है क्योंकि पुलिस ने उनकी हिरासत नहीं मांगी थी। इस संबंध में अभियोजन पक्ष ने मंगलवार को अदालत को बताया कि मोरबी के केबल पुल की मरम्मत का काम जिन ठेकेदारों ने किया, उनके पास इसको करने की योग्यता नहीं थी।

पुल के तार नहीं बदले    

रविवार की शाम में यह पुल गिरने से अभी तक 135 लोगों की मौत हुई है। फॉरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुल की फ्लोरिंग को बदल दिया गया था लेकिन उसके तार नहीं बदले गए थे और वह (पुराने तार)  नयी फ्लोरिंग का वजन नहीं उठा सके। पुलिस ने सोमवार को नौ लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304  (गैर इरादतन हत्या) में मामला दर्ज किया था। अदालत ने जिन चार लोगों को पुलिस हिरासत में भेजा है उनमें ओरेवा के प्रबंधक दीपक पारेख और दिनेश दवे, मरम्मत का काम करने वाले ठेकेदार प्रकाश परमार और देवांग परमार शामिल हैं। वहीं, फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएफ) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पांचाल ने अदालत को बताया कि फॉरेंसिक विशेषज्ञों का मानना है कि नयी फ्लोरिंग के वजन के कारण पुल का मुख्य तार टूट गया।

दोनों ठेकेदारों को ऐसे काम का अनुभव नहीं

पांचाल ने पत्रकारों को बताया, ”फॉरेंसिक रिपोर्ट हालांकि सीलबंद लिफाफे में पेश की गई थी, लेकिन रिमांड अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह कहा गया कि मरम्मत के दौरान पुल के तार नहीं बदले गए थे और सिर्फ फ्लोरिंग बदली गई थी… फ्लोरिंग में चार परत एल्यूमिनियम की चादर लगाने के कारण पुल का वजन बढ़ गया और वजन के कारण तार टूट गया।” अदालत को यह भी बताया गया कि मरम्मत का काम कर रहे दोनों ठेकेदार इस काम को करने की ”योग्यता नहीं रखते थे।” अभियोजक ने कहा, ”इसके बावजूद, ठेकेदारों को 2007 में और फिर 2022 में पुल की मरम्मत का काम सौंप दिया गया। इसलिए आरोपियों की हिरासत आवश्यक है क्योंकि यह पता लगाने की जरूरत है कि उन्हें क्यों चुना गया और किसके कहने पर उन्हें चुना गया।”

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