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मदरसों को नोटिस दिए जाने पर रार, बताया किसका है अधिकार

Notice to Madrassas

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Notice to Madrassas: उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा पुरकाजी क्षेत्र के 13 मदरसों को नोटिस दिए जाने का मामला गर्मा गया है। नोटिस दिए जाने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद से जुड़े लोगों ने जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी से मिलकर शिकायत दर्ज कराई है। जमीयत उलेमा ए हिंद के लोगों का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग के पास मदरसों को नोटिस देने का कोई अधिकार नहीं है। मदरसे मदरसा बोर्ड के अंतर्गत आते हैं। यह सभी दारुल उलूम देवबंद से मान्यता प्राप्त हैं।

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Notice to Madrassas: जिलाधिकारी से की नोटिस निरस्त करने की मांग

उन्होंने जिलाधिकारी से मिलकर नोटिस निरस्त कराए जाने की मांग की है। वहीं इस मामले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला ने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी पुरकाजी द्वारा गैर मान्यता प्राप्त 13 विद्यालयों को नोटिस दिए गए हैं। इन विद्यालयों के पास कोई भी मान्यता नहीं है। अगर वह सभी मानक पूरे कर रहे हैं तो उन्हें बात करके मान्यता के लिए कहा जाएगा। उन्होंने बताया कि अगर नोटिस में मदरसों का जिक्र है तो उन पर यह नोटिस मान्य नहीं होगा। अगर विद्यालय हैं और उनके पास मान्यता नहीं है तो उन पर कार्रवाई की बात है।

बेसिक शिक्षा विभाग को अधिकार नहीं- अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी

वहीं जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्री रस्तोगी ने जनपद के मदरसों को भेजे गए इन नोटिसों को अवैध करार दिया। मैत्री रस्तोगी ने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी पुरकाजी द्वारा नोटिस जारी किए गए हैं। और मदरसों पर बेसिक शिक्षा विभाग का कोई अधिकार नहीं है। अतः बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जो नोटिस जारी किए गए हैं वह गलत हैं। उन्होंने कहा कि आरटीई अधिनियम में जो 2012 में बदलाव किया गया था। उसके अनुसार जो भी वैदिक स्कूल और मदरसे हैं वह उनके अंतर्गत नहीं आते।

Notice to Madrassas: ‘जानकारी के अभाव में जारी हुआ नोटिस’

उन्होंने कहा कि मदरसों का निरीक्षण और उनको नोटिस जारी करने का अधिकार केवल मदरसा शिक्षा अधिकारी को होता है। अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने कहा कि वह बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखेंगे और मदरसों को दिए गए नोटिस वापस करने के लिए कहेंगे। यह जानकारी के अभाव में हुआ है।

रिपोर्टः अरविंद चौधरी, संवाददाता, मुजफ्फरनगर, उत्तरप्रदेश

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