डायबिटीज अब सिर्फ इंसुलिन नहीं, मेटाबोलिज्म बीमारी भी; हार्ट, किडनी
विश्व में डायबिटीज की राजधानी बन चुके भारत में अब जो आधुनिक और विकसित उपचार हो रहा है उसका अनुसरण दुनिया के अन्य देश भी कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि आने वाले समय में भारत दुनिया की डायबिटीज[ राजधानी नहीं, उसके उपचार की राजधानी बने। उपचार के दौरान डॉक्टर होने के नाते हमें ये भी ध्यान रखने की ज़रूरत है कि डायबिटीज का उपचार सिर्फ इन्सुलिन और ब्लड शुगर लेवल पर सीमित ना रहे बल्कि इसे मेटाबोलिज्म के रोग के रूप में देखा जाए और दिल, लीवर और किडनी आदि पर इसके असर का भी उपचार समय पर हो। इसके लिए ऐसे फिजिशियन बनाने होंगे जो कार्डियो मेटाबोलिक फिजिशियन के रूप में प्रशिक्षित हो और डायबिटीज का सम्पूर्ण उपचार करें।
यह बात शुक्रवार को ‘वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ डायबिटीज इंडिया 2023’ के शुभारंभ के अवसर पर कांफ्रेंस के ऑर्गनाईजिंग चेयरमैन डॉ सुनील एम. जैन ने कही। उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह और चिकत्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग शामिल हुए जिन्होंने अपने वक्तव्य में डायबिटीज से लड़ने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला।
मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से लोगों में जागरूकता लाने, रोकथाम करने को लेकर सहायता होती है। इस प्रकार की कांफ्रेंस से यह भी पता चलता है की किस प्रकार का शोध भारत में हो रहा है और आगे चलकर किस तरह से इस बीमारी का इलाज किया जाए। भारत में मोदी सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई है और कोविड काल में चिकित्सकों एवं वैज्ञानिकों ने जो भूमिका निभाई है, उसने पूरे विश्व को राह दिखाई है।
मंत्री विश्वास सारंग ने प्रदेश में हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू करने की पहल के बारे में सभी उपस्थित सदस्यों को बताया और साथ ही इंदौर में डायबिटीज की कांफ्रेंस आयोजित करने को लेकर कहा कि यदि इंदौर के लोगों के खान-पान की आदतों को देखते हुए उन्हें डायबिटीज के प्रति जागरूक किया जा सकता है तो दुनिया के किसी भी हिस्से में यह काम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ‘डायबिटीज इंडिया-2023’ में डायबिटीज की रोकथाम को लेकर जो सार निकले उसे जन कल्याण के लिए सरकार की मदद से अगर आप लोगों तक पहुंचाना चाहे तो सुझाव हम तक पहुंचाए उसमे हम आपका पूरा सहयोग करेंगे।