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पश्चिम बंगाल में परचम लहराएगी बीजेपी! प्रशांत किशोर के दावे में कितना दम?

Loksabha Election prediction in West Bengal

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Loksabha Election prediction in West Bengal: बंगाल में हो रहे लोकसभा चुनावों में इस बार बीजेपी शानदार प्रदर्शन करेगी। बीजेपी इस बार टीएमसी पर भारी पड़ेगी। यह दावा है राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर का। एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने यह बातें कहीं.

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‘…ऐसा नहीं कहूंगा तो प्रोफेशनली ईमानदार नहीं रहूंगा’

दरअसल प्रशांत किशोर काफी प्रसिद्ध राजनीतिक रणनीतिकार हैं। उन्होंने बीजेपी से लेकर टीएमसी तक के लिए चुनावी रणनीति बनाई है। वकौल प्रशांत किशोर मेरे इस दावे से लोग मुझे बीजेपी का एजेंट कह सकते हैं लेकिन अगर में ऐसा नहीं कहूंगा तो प्रोफेशनली ईमानदार नहीं रहूंगा।

‘हर मायने में टीएमसी से अच्छा प्रदर्शन करेगी बीजेपी’

प्रशांत किशोर ने बातें तब कहीं जब पिछले कुछ चुनावों में बंगाल में बीजेपी की बुरी हालत रही है। विधानसभा चुनावों, उपचुनावों और निकाय चुनावों में बीजेपी की स्थिति अच्छी नहीं रही है। प्रशांत किशोर ने कहा, ‘मैं अनुमान लगा रहा हूं कि भाजपा हर मायने में बंगाल में टीएमसी से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर रही है. लोकसभा चुनाव में बंगाल से चौंकाने वाले नतीजे देखने के लिए तैयार रहिए जो कि भाजपा के पक्ष में होंगे.’

आखिर ऐसा क्यों कह रहे पीके…

ऐसे में आपके मन में भी पुराने चुनावों की तस्वीरें घूमना लाजिमी है। आप जब पश्चिम बंगाल के अतीत में झांकेंगे तो आप देखेंगे पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार. आप देखेंगे उपचुनावों से लेकर निकाय चुनावों तक पस्त होती बीजेपी और पार्टी छोड़कर जाते बीजेपी के कई बड़े नेता। फिर जहन में वही सवाल उठेगा कि आखिर प्रशांत किशोर ऐसा क्यों कह रहे हैं। क्या सच में…

अनंत महाराज के सधेंगे राजबंशी!

बंगाल में मतुआ समुदाय के बाद अगर दूसरे सबसे बड़े कोई अनुसूचित जाति का समुदाय है तो वह है राजबंशी समुदाय। उत्तरी बंगाल में इस समुदाय का दबदबा है। यहां की आठ में से चार सीटों पर इसी समुदाय के प्रत्याशी विजयी हुए हैं। 2019 में यहां बीजेपी ने सात सीटें हासिल की। बीजेपी ने बंगाल से अनंत महाराज को राज्यसभा भेजा वह भी राजबंशी समुदाय से आते हैं। ऐसे में बीजेपी की पकड़ उत्तरी बंगाल में और मजबूत होगी और वह आठ सीटों पर जीतने की उम्मीद करती है।  

इंडी गठबंधन का खंडन पहुंचाएगा फायदा

अगर बात इंडी गठबंधन की करें तो पहले उम्मीद थी कि कांग्रेस और टीएमसी साझा चुनाव लड़ेंगे। मसलन वोटर्स के सामने या तो कांग्रेस का उम्मीदवार होगा या टीएमसी का और उसके पास समर्थन इन दोनों पार्टियों का होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उदाहरण के तौर पर हम बेहरामपुर सीट की बात करते हैं। अब जहां वोट इंडी गठबंधन को एक तरफा पड़ता तो वहीं अब अधीर रंजन और यूसूफ पठान में बंट जाएगा। यहां मुस्लिम वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है। इससे इन वोटों के बंटने का फायदा बीजेपी को पहुंच सकता है।

CAA भी एक बड़ा दांव!

बात अब बीजेपी के CAA दांव की करें तो इसका फायदा मतुआ समुदाय को होगा। बंगाल में इस समुदाय के वोटर्स की संख्या लगभग 1.8 करोड़ है। राजबंशी और मतुआ समुदाय को 1971 के बाद अब तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है। पश्चिम बंगाल के नादिया, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों की कम से कम चार लोकसभा सीटों पर इनकी बहुलता है। कहा जाता है कि यह जिधर झुक जाएं उसका पलड़ा भारी होना तय है।

संदेशखाली भी अहम मुद्दा

वहीं संदेशखाली मामले पर भी विपक्ष राज्य सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा। यहां यह एक बड़ा मुद्दा बनेगा। बीजेपी ने ‘द बिग रिवील-द संदेशखाली शॉकर’ शीर्षक से एक डॉक्यूमेंट्री भी जारी की थी। अगर बात हम पहले की करें तो जबरन जमीन अधिग्रहण मामले में नंदीग्राम के आंदोलन ने ममता बनर्जी के लिए सत्ता का रास्ता प्रशस्त किया था। अब बीजेपी भी संदेशखाली मुद्दे को अपने प्रमुख हथियार के रूप में अपना रही है। नंदीग्राम से बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी का कहना है कि संदेशखाली की स्थित नंदीग्राम की तरह है। नंदीग्राम में जबरन जमीन अधिग्रहण तो संदेशखाली में जबरन जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर लड़ाई है। ये संदेशखाली में यौन उत्पीड़न के बाद सबसे बड़ा मुद्दा है।

तुष्टीकरण या ध्रुवीकरण

वहीं यदि बीजेपी सभी अनुसूचित जाति को अपने पक्ष में करने में और हिंदुओं का वोट लेने में सफल रही तो उसे सफलता मिल सकती है। इस राज्य में हिंदुओं की कुल आबादी लगभग 71 प्रतिशत है। अभी तक वहां की स्थानीय पार्टियों ने तुष्टिकरण की राजनीति की है। अब अगर बीजेपी हिंदु वोटों का ध्रुवीकरण करने में सफल रहती है तो फायदा बेशक बीजेपी को होगा। वहीं इस मामले में राम मंदिर भी एक बड़ा मुद्दा हो सकता है।

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