Jharkhand: लिट्टीपाड़ा में बूंद बूंद पानी को तरस रहे लोग, पानी के लिए जद्दोजहद
Jharkhand: लिट्टीपाड़ा प्रखंड के चापा गांव की बदहाली का आलम यह है कि, यहाँ के लोगों को पीने के लिए पानी तक नसीब नहीं है। आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी पहाड़ी इलाके के चापा गाँव में गुजर बसर करने वाले ग्रामीणों को पानी की प्यास बुझाने के लिए दर बदर भटकना पड़ता है। घंटो इंतजार के बाद नंबर लगाना पड़ता है। हालाँकि भीषण गर्मी को दस्तक देना अभी बाकी है। लिहाजा भीषण गर्मी में ग्रामीणों का क्या हाल होगा आप अंदाजा लगा सकते है।
गांव में चापाकल नही है बल्कि एक ही कुआं है जिसमे पानी लेने के लिए ग्रामीणों को बारी-बारी से घंटो इंतज़ार के बाद नम्बर लगता है। इसके बावजूद शुद्ध पेयजल नसीब नही होता है। गंदे पानी से प्यास बुझाने को मजबूर है। यहाँ के आदिम जनजाति के लोगों को पानी की किल्लत के कारण हफ्तों बाद बाद नहाने का मौका मिलता है। कुंआ में जब पानी की कमी हो जाती है तो तंग आकर दो किलोमीटर दूर रोलडीह गांव के चापाकल से पानी लाने को मजबूर होना पड़ता है।
कड़ी तपिश गर्मी में सर पर हड़िया डेगची, घड़ा, बाल्टी लेकर पानी की खोज में लोग निकल पड़ते है। ताकि अपनी प्यास बुझा सके। भाजपा सरकार के समय लिट्टीपाड़ा में करोड़ो की लागत वाली बहुजलापूर्ती योजना को लाया गया था। परंतु किसी कारणवश वो आज अधूरा शोभा की वस्तु बना पड़ा हुआ है। ऐसे में वर्तमान झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार को चाहिए कि लिट्टीपाड़ा के पहाड़ी इलाको में रहने वाले आदिम जन जातियों के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था को लेकर कोई ठोस प्लानिंग के तहत जल्द से जल्द बंद पड़े करोड़ो की लागत से बहु चर्चित जलापूर्ति योजना को चालू कराए। ताकि ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मुहैया हो सके। इससे वर्तमान सरकार पर जनता का विश्वास जगा रहेगा।
रिपोर्ट- शमशेर अहमद
लोकेशन- पाकुड़
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