Advertisement

बिरसा मुंडा कैसे बने धरती आबा, नाम सुनकर थर्र-थर्र कांपती थी अंग्रेजी हुकूमत

Share
Advertisement

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह करने वाले भगवान बिरसा मुंडा की आज यानी शुक्रवार (9 जून) को पुण्यतिथि है। अंग्रेजी हुकूमत के दौर में भगवान बिरसा मुंडा ने आदिवासी समुदाय के ऊपर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने आदिवासियों के हक-अधिकारों, संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए बड़े स्तर पर काम किया था। यही वजह है कि झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ समेत तमाम आदिवासी बहुल राज्यों में उन्हें भगवान की तरह पूजा जाता है।

Advertisement

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए पुण्यतिथि पर बिरसा मुंडा को नमन किया है। पीएम मोदी ने ट्विटर पर लिखा है कि ‘भगवान बिरसा मुंडा जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। उन्होंने विदेशी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए उनके समर्पण और सेवाभाव को कृतज्ञ राष्ट्र सदैव याद रखेगा।’

जेल में हुई थी मौत

दरअसल, धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ उलगुलान (विद्रोह) का ऐलान किया था। बताया जाता है कि किसी ने मुखबिरी कर उन्हें पकड़वाया था। उन्हें झारखंड के रांची की एक जेल रखा गया था। जहां जेल में ही उनका देहांत हो गया। बताया जाता है कि जेल में उन्हें जहर दिया गया था, जिसकी वजह से उनकी मृ्त्यु हो गई थी।

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को झारखंड के खूटी जिले के उलीहातु गांव में हुआ था। उन्होंने जनजातियों के तौर-तरीकों पर ध्यान दिया। उसमें उचित बदलाव के लिए जमीनी स्तर पर काम किया। बिरसा मुंडा ने हिंदू और ईसाई धर्म का गंभीरता से अध्ययन किया। उन्होंने धार्मिक पुस्तकों के गहन अध्ययन से जाना कि आदिवासी समाज अंधविश्वास और पांखण्ड के कारण भटका हुआ है। आदिवासी समाज के पिछड़ने का कारण धर्म है। इसलिए उन्होंने एक अलग धर्म की शुरूआत की, उन्होंने बरसाइत नाम से अलग रिलीजन शुरू किया। उन्होंने आदिवासी समाज को एक नेतृत्व दिया।

उन्हें आदिवासियों की जमीन को अंग्रेजों के कब्जे से छुड़ाने के लिए एक अलग जंग लड़ना पड़ी। जिसके लिए बिरसा मुंडा ने ‘अबुआ दिशुम अबुआ राज’ यानी ‘हमारा देश, हमारा राज’ का नारा दिया।

जब अंग्रेजों के पैरों से जमीन खिसकने लगी तथा पूंजीपति और जमींदार भी बिरसा मुंडा से डरने लगे, तब अंग्रेजी हुकूमत ने इसे खतरे का संकेत समझ कर बिरसा मुंडा को गिरफ्तार किया और जेल में डाल दिया, जहां अंग्रेजों ने उन्हें धीमा जहर दिया, उसी कारण बिरसा मुंडा 9 जून 1900 को शहीद हो गए तथा उन्होंने रांची में अंतिम सांस ली।

ये भी पढ़ें: इस बार इंडिया में होगा ‘Miss World’ प्रतियोगिता का आयोजन, 130 से ज्‍यादा देश लेंगे हिस्सा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *