Water Crisis: NGT ने समाचार रिपोर्ट के आधार पर लिया स्वत: संज्ञान
Water Crisis: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हाल ही में भारत में भूजल स्तर में गिरावट को उजागर करने वाली एक रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया। यह मामला एक समाचार पत्र में प्रकाशित एक लेख के आधार पर शुरू किया गया था। मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए, राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने केंद्रीय भूजल बोर्ड, जल शक्ति मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, साथ ही 19 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश के जल संसाधन विभागों से प्रतिक्रिया मांगी है।
Water Crisis: साल 2025 तक गंभीर स्थिति
प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राष्ट्र के निष्कर्षों के अनुसार, भारत में इंडो-गैंगेटिक बेसिन के कुछ क्षेत्र पहले ही भूजल की कमी टिपिंग बिंदु को पार कर चुके हैं, और पूरे उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को 2025 तक गंभीर रूप से कम भूजल उपलब्धता का सामना करने का अनुमान है। रिपोर्ट से ये भी पता चला कि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के संयुक्त उपयोग को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया में भूजल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र देश के लिए जरूरी
भारत का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र, जो देश की बढ़ती आबादी के लिए अनाज उपलब्ध करवाती है। पंजाब और हरियाणा में देश की चावल आपूर्ति का 50 प्रतिशत और गेहूं के 85 प्रतिशत भंडार का उत्पादन होता है। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पंजाब में 78 प्रतिशत कुओं से पानी का ज्यादा उपयोग किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में 2025 तक गंभीर जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
सरकार उठा रही है जरूरी कदम
पानी संकट को लेकर जवाब में, केंद्रीय भूजल बोर्ड ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें कहा कि सरकार ने देश में भूजल की स्थिति को बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय की रिपोर्ट में शामिल सभी सलाह को लागू किया है। हालांकि, एनजीटी ने कहा कि सीजीडब्ल्यूबी की 2022 की वार्षिक रिपोर्ट ट्रिब्यूनल के समक्ष प्रस्तुत रिपोर्ट की तुलना में काफी अलग तस्वीर पेश करती है।
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