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Taj Mahal का निर्माण शाहजहां ने नहीं करवाया, ऐतिहासिक तथ्य में सुधार के लिए हाई कोर्ट में PIL

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Taj Mahal: दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है जिसमें केंद्र सरकार को ताज महल का सही इतिहास प्रकाशित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। हिंदू सेना के अध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव द्वारा दायर इस याचिका में दावा किया गया है कि ताज महल मूल रूप से राजा मान सिंह का महल था जिसे बाद मुगल सम्राट शाहजहां ने इसे पुनर्निर्मित किया था। याचिकाकर्ता ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भारत सरकार, भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार और उत्तर प्रदेश सरकार को इतिहास की किताबों से ताज महल के निर्माण से संबंधित ऐतिहासिक रूप से गलत तथ्यों को हटाने और एएसआई को इस बारे में जांच करने के निर्देश जारी करने की मांग की है।

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Taj Mahal: याचिकाकर्ता ने की है अध्ययन और शोध

बता दें कि इस याचिका पर शुक्रवार, 03 अक्टूबर को मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ सुनवाई कर सकती है। याचिका में दावा किया गया है कि याचिकाकर्ता ने ताज महल के बारे में गहन अध्ययन और शोध किया है और इतिहास के तथ्यों को सुधारना और लोगों को ताज महल के बारे में सही जानकारी देना चाहते है। उन्होंने कहा कि ताज महल पर कई किताबों की जांच की और एक किताब में कहा गया है कि शाहजहां की पत्नी आलिया बेगम थीं और मुमताज महल का कोई जिक्र नहीं है।

ताज महल पहले राजा मान सिंह की थी हवेली

याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि लेखक जेडए देसाई लिखित ‘ताज म्यूजियम’ नामक पुस्तक के अनुसार मुमताज महल को दफनाने के लिए एक “ऊंची और सुंदर” जगह का चयन किया गया था, जो राजा मान सिंह की हवेली थी। दफ़नाने के समय यह उनके पोते राजा जय सिंह के कब्ज़े में था। याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि इस हवेली को कभी ध्वस्त नहीं किया गया था। और उन्होंने दावा किया कि ताज महल की वर्तमान संरचना कुछ और नहीं बल्कि “राजा मान सिंह की हवेली का एक संशोधन, नवीनीकरण है जो पहले से मौजूद थी”।

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