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महज Touch करना नहीं हो सकता Penetrative Sexual Assault, निरर्थक हो जाएगी पॉक्सो की धारा-7: HC

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Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार, 06 नवंबर को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि महज स्पर्श को Penetrative Sexual Assault नहीं कहा जा सकता है, जैसा कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) की धारा- 3 (सी) के तहत परिभाषित किया गया है। न्यायमूर्ति अमित बंसल की बेंच ने स्पष्ट किया कि मात्र स्पर्श करने का मतलब शरीर के किसी अंग के साथ हेरफेर करना नहीं है।

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Delhi High Court: छूना है एक अलग अपराध

बता दें कि कोर्ट 6 साल की बच्ची पर गंभीर यौन हमला करने के लिए एक व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए कोर्ट ने कहा, ‘छूना’ एक अलग अपराध है, लेकिन इसे Penetrative Sexual Assault नहीं कहा जा सकता। और इसे पॉक्सो अधिनियम की धारा 3 (सी) के तहत दर्ज नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने इस बात पर फोकस करते हुए कहा कि POCSO अधिनियम की धारा 7 के तहत, ‘स्पर्श’ एक अलग अपराध है”।

क्या है पॉक्सो की धारा- 3(सी)?

बता दें कि POCSO अधिनियम की धारा 3 (सी) के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से से छेड़छाड़ करता है ताकि योनि, मूत्रमार्ग, गुदा या शरीर के किसी अन्य भाग में प्रवेश कर सके, तो उसे Penetrative Sexual Assault कहा जाता है। बता दें कि अदालत एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने 6 साल की बच्ची से बलात्कार के लिए अपनी दोषसिद्धि और 10 साल की जेल की सजा को चुनौती दी थी।

क्या है पूरा मामला?

इस मामले में आरोपी व्यक्ति पर आरोप था कि जब पीड़िता उसके भाई द्वारा संचालित ट्यूशन कक्षाओं में पढ़ाई करने गई थी तो उसने उसके गुदा भाग को छुआ था। बाद में लड़की ने बैठते समय दर्द की शिकायत की और घटना के बारे में अपने माता-पिता को बताया, जिसके बाद आरोपी के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई। इसपर साल 2020 में, एक ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को POCSO अधिनियम, 2012 की धारा 6 के तहत बलात्कार और Penetrative Sexual Assault के लिए दोषी ठहराया। इस फैसले को आरोपी ने दल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी।

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