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Collegium System: कोर्ट की सरकार पर सख्त टिप्पणी, कहा हमें मजबूर न करें

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Collegium System: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार, 07 नवंबर को टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति को सिर्फ इसलिए नहीं रोक सकती क्योंकि उसके द्वारा मंजूर किए गए नामों को कॉलेजियम ने मंजूरी नहीं दी थी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा कि जब कॉलेजियम जजशिप के लिए किसी नाम को स्वीकार नहीं करता है, तो यही इसका अंत होना चाहिए। आगे टिप्पणी में कहा, “मान लीजिए कि किसी नाम को आपने (केंद्र सरकार) मंजूरी दे दी है और मान लीजिए कि कॉलेजियम ने इसे मंजूरी नहीं दी है। तो यह मामले का अंत होना चाहिए। कोई न्यायाधीश बनने की उम्मीद करता है और हम इसे स्वीकार नहीं करते हैं, तो यह यही खत्म होना चाहिए।”

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Collegium System: कई मामलों में नामों को रोका गया

बता दें कि ऐसा एक से अधिक मामलों में हुआ है जब कॉलेजियम ने सरकार द्वारा नामित सदस्यों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने न्यायाधीशों की नियुक्ति में “pick and choose” दृष्टिकोण के लिए भारत सरकार की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इससे न्यायाधीश पद के लिए अनुशंसित लोगों के बीच वरिष्ठता कको नजरअंदाज करता है।

कॉलेजयम को न करे मजूबर

शीर्ष अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहिए जहां कॉलेजियम या सुप्रीम कोर्ट को ऐसा निर्णय लेना पड़े जो स्वीकार्य न हो। जजों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा जजशिप के लिए अनुशंसित नामों में से 50 प्रतिशत को भी सरकार द्वारा मंजूरी नहीं दी जा रही है, या तो खुफिया रिपोर्टों या सरकार से प्रतिकूल इनपुट के कारण। न्यायमूर्ति कौल ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा, “pick and choose” की प्रक्रिया बहुत सारी कठिनाइयां पैदा कर रही है और जो लोग वरिष्ठ हैं उन्हें छोड़ दिया जाता है।”

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