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Indian Railways: भारतीय रेलवे ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक ऐप-आधारित निगरानी प्रणाली शुरू की है कि एस्केलेटर काम कर रहा है या नहीं। इस संबंध में अधिकारियों ने गुरुवार, 30 नवंबर को कहा कि प्लेटफार्मों पर यात्रियों की भीड़ और असुविधा से बचने के लिए और किसी समस्या से जल्द निपटने के लिए यह व्यवस्था लाई गई है। बता दें कि रेलवे ने यह कदम राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टरों के आंतरिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के बाद उठाया है जिसमें पता चला है कि बंद एस्केलेटर के लिए कम से कम 1.5 मिलियन वार्षिक शिकायतें मिली है।

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Indian Railways: कुछ जोन में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू

बता दें कि रेलवे ने इस प्रोजेक्ट को कुछ ज़ोन मध्य, पश्चिम और उत्तर रेलवे में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पर लागू किया गया है। मध्य रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, “औसतन, एस्केलेटर के मुद्दों पर प्रतिदिन कम से कम दस शिकायतें प्राप्त होती हैं। हमारे लिए प्रत्येक एस्केलेटर और लिफ्ट के लिए एक अलग ऑपरेटर नियुक्त करना किफायती नहीं है, इसलिए हम यह ऐप-आधारित प्रणाली लेकर आए हैं।

Indian Railways: एस्केलेटर काम करते नहीं मिला

भारतीय रेल में सफर करने वाले यात्रियों को उस समय कठिनाई का सामना करना पड़ता है जब उन्हें एस्केलेटर काम नहीं करते हुए मिलते हैं। इस कठिनाई को दूर करने के लिए, मध्य रेलवे के मुंबई डिवीजन ने एस्केलेटर के लिए एक वेब और मोबाइल ऐप-आधारित निगरानी प्रणाली को अपनाया है। मॉनिटरिंग सिस्टम के फायदे बताते हुए उत्तर रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, ‘इस सिस्टम के शुरू होने के बाद हर एस्केलेटर का मिनट-टू-मिनट डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध होता है।

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