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Delimitation Commission: केंद्र को कोर्ट का आदेश, विधानसभा में SC/ST प्रतिनिधित्व के लिए गठित हो आयोग

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Delimitation Commission: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 23 नवंबर को केंद्र सरकार को अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के रूप में नामित समुदायों का आनुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए एक नया परिसीमन आयोग गठित करने का निर्देश दिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि पश्चिम बंगाल विधान सभा में एक अतिरिक्त सीट उपलब्ध कराई जानी है जिसके लिए परिसीमन अधिनियम के तहत शक्ति के उपयोग की आवश्यकता होगी।

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Delimitation Commission: प्रावधानों को विधिवत लागू करने की जरूरत

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, “पश्चिम बंगाल राज्य के संबंध में ईसीआई द्वारा प्रथम दृष्टया आधार पर यह प्रस्तुत किया गया है कि मोटे तौर पर यह प्रतीत होता है कि आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को समायोजित करने के लिए अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य विधानसभा में एक अतिरिक्त सीट उपलब्ध कराई जानी है। इसके लिए परिसीमन अधिनियम 2002 के तहत शक्ति का सहारा लेना बेहद जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अनुच्छेद 332 और 333 के तहत प्रावधानों को विधिवत लागू किया गया है।”

गठित किया जाए परिसीमन आयोग

कोर्ट ने कहा कि उसने केंद्र सरकार से परिसीमन आयोग गठित करने को कहा था। साथ ही कहा, “हमने फैसले के अंत में यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें परिसीमन आयोग का गठन करना होगा।” बता दें कि कोर्ट पश्चिम बंगाल और सिक्किम की विधान सभाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था। इस विषय में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि केंद्र सरकार को अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के रूप में नामित समुदायों का आनुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए परिसीमन आयोग के पुनर्गठन पर विचार करना चाहिए।

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