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अररिया: पिता की इलाके में थी जबरदस्त पेंठ, आरजेडी ने बड़े को छोड़ छोटे बेटे को बनाया कैंडिडेट

Arariya Loksabha Seat

सरफराज आलम(बाएं),शाहनवाज आलम(दाएं)

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Arariya Loksabha Seat: राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने 22 उम्मीदवारों का लिस्ट जारी की है। इस बार राजद ने पूर्व केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री व सीमांचल के गांधी नाम से चर्चित तस्लीमुद्दीन के छोटे बेटे और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री शाहनवाज आलम पर भरोसा जताया है। लोक सभा चुनाव में राजद ने अररिया से शाहनवाज आलम को उम्मीदवार घोषित किया है। हालांकि राजद से टिकट की आस में पूर्व सांसद एवं तस्लीमुद्दीन के बड़े पुत्र सरफराज आलम भी टकटकी लगाए हुए थे। चार पांच साल से लगातार पार्टी के कार्यक्रमों के साथ इलाके में होने वाले कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में राजद से टिकट लेने में वह कामयाब नहीं हो पाए। अब शाहनवाज आलम राजद के टिकट पर भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह से दो-दो हाथ करेंगे।

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तस्लीमुद्दीन के इर्द-गिर्द घूमती थी सीमांचल की राजनीति

सीमांचल की सियासत तस्लीमुद्दीन के इर्द गिर्द शुरू से घूमती रही है। जोकीहाट के सिसौना गांव निवासी तस्लीमुद्दीन किशनगंज को अपना कार्य क्षेत्र बनाए हुए थे। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद उन्होंने अररिया से जीत दर्ज कर अपनी मजबूती का अहसास कराया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद के तस्लीमुद्दीन को 4 लाख 7 हजार 978 मत प्राप्त हुए थे। जबकि भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह 2 लाख 61 हजार 474 मत प्राप्त हुआ था। लेकिन सांसद रहते तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद 2018 में हुए उप चुनाव में राजद ने तस्लीमुद्दीन के पुत्र सरफराज आलम को उम्मीदवार बनाया।

2018 के चुनाव में जीत दर्ज कर चुके हैं सरफराज आलम

2018 में राजद के सरफराज आलम को 5 लाख 9 हजार 334 मत प्राप्त हुए। जबकि भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह को 4 लाख 47 हजार 346 मत मिले। सरफराज आलम ने प्रदीप कुमार सिंह को 61 हजार 988 मत प्राप्त हुआ। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह ने 6 लाख 18 हजार 434 मत प्राप्त कर राजद के सरफराज आलम को पटखनी दी। सरफराज आलम को 4 लाख 81 हजार 193 मत प्राप्त हुए थे। जबकि उस चुनाव में अररिया के 20 हजार 606 मतदाताओं ने नोटा पर बटन दबाया था।

जोकीहाट विधानसभा से शुरू हुई तस्लीमुद्दीन के बेटों के बीच अदावत

तस्लीमुद्दीन के दोनों बेटे सरफराज आलम और शाहनवाज आलम के बीच अदावत जोकीहाट विधानसभा से शुरू हुई। पिता तस्लीमुद्दीन की मौत के बाद जहां सरफराज आलम 2018 के लोकसभा के उप चुनाव में जीत दर्ज कर सांसद बन गए। उस समय सरफराज आलम जोकीहाट के विधायक थे। जोकीहाट विधानसभा की खाली सीट पर शाहनवाज आलम मई 2018 में हुए उप चुनाव में राजद के टिकट पर विधायक चुने गए। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पराजित होने के बाद 2020 में जोकीहाट विधानसभा चुनाव में जब राजद ने अपने सिटिंग विधायक शाहनवाज आलम का टिकट काटकर उनके बड़े भाई सरफराज आलम को टिकट दिया तो AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने शाहनवाज आलम को अपने पार्टी के सिंबल से न केवल चुनाव लड़ाया, बल्कि शाहनवाज आलम को लेकर पूरे सीमांचल में जमकर प्रचारित करते हुए उसे भुनाया भी। इसका असर मुस्लिम मतदाताओं में खासकर कुल्हैया बिरादरी में असर भी देखा गया।

AIMIM का भी साथ दे चुके हैं शाहनवाज आलम

शाहनवाज आलम ने 59 हजार 596 मत लाकर चुनाव जीत गए। जबकि राजद के सरफराज आलम को 52 हजार 213 मत प्राप्त हुए। तीसरे स्थान पर भाजपा के रंजीत यादव को 48 हजार 933 मत प्राप्त हुए थे। बाद में शाहनवाज आलम ने एआईएमआईएम के तीन अन्य विधायकों अंजार नईमी, सैयद रुकनुद्दीन अहमद और इज़हार असफी को AIMIM से टूटकर सभी के साथ 29 जून 2022 को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की उपस्थिति में राजद में शामिल हो गए। फलस्वरूप बिहार विधानसभा में पांच विधायक वाली AIMIM में अमौर विधायक और बिहार प्रमुख अख्तरुल ईमान बच गए। शाहनवाज आलम के साथ चार विधायकों के राजद में शामिल करने के बाद राजद विधानसभा में 80 सदस्यों के साथ भाजपा को पछाड़कर सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभरी। बाद में जदयू राजद कांग्रेस महागठबंधन वाली बिहार सरकार में शाहनवाज आलम को आपदा प्रबंधन विभाग का मंत्री बनाया गया।

दोनों बेटे लगाए थे टिकट के लिए टकटकी

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने जब 22 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की तो अररिया से शाहनवाज आलम उम्मीदवार बने। जबकि सरफराज आलम टिकट की आस में पटना में पार्टी के कार्यक्रम में भाग ले रहे थे तो शाहनवाज आलम अररिया में राजद कार्यालय में लोकसभा चुनाव को लेकर संगठनात्मक बैठक में हिस्सा लिया। हालांकि शाहनवाज आलम पिछले कुछ दिनों से लोकसभा क्षेत्र का लगातार भ्रमण कर रहे थे।

साथ ही महागठबंधन के दलों के नेताओं से भी व्यक्तिगत मुलाकात कर रहे थे, जिससे कयास लगने लगा था। लेकिन घोषणा नहीं होने के कारण शाहनवाज आलम, सरफराज आलम के साथ डॉ. शत्रुघ्न मंडल और अविनाश आनंद को लेकर सियासी गलियारे में चर्चा गाहे बगाहे हो रही थी। लेकिन जिस तरह से शाहनवाज आलम की राजद से उम्मीदवारी की घोषणा हुई। विधानसभा में राजद के टिकट लेने में बड़े भाई ने छोटे भाई को मात दी।

रिपोर्टः नारायण यादव, संवाददाता, अररिया, बिहार

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