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भारत के ये बल्लेबाज करेंगे वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू, जानें क्या है खास

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सरफराज खान वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू करेंगे। WTC 2023 का फाइनल हारने के बाद चयनकर्ताओं की आंखें खुल गई हैं। उम्मीद है आप सबने नाम जरूर सुना होगा। क्योंकि सिर्फ 24 साल की उम्र में इस बंदे ने नाम बनाने का काम किया है। इनका जिक्र क्यों, आगे समझ आएगा।

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पिछले वर्षों में भारत नॉकआउट मुकाबलों में हार जाता है। मतलब ग्रुप स्टेज तो हम किसी तरह पार कर लेते हैं लेकिन जब बारी ट्रॉफी उठाने वाले मुकाबलों की आती है, तो टीम इंडिया की सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती है। क्यों? सवाल का जवाब एक खिलाड़ी के साथ हो रहा अन्याय देगा।

 2007 T-20 वर्ल्ड कप, 2011 वनडे वर्ल्ड कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी के बाद भारत कुछ नहीं जीत सका है। भारत ने 2013 के बाद से 8 आईसीसी टूर्नामेंट्स में 11 नॉकआउट मुकाबले खेले हैं। इस दौरान हमने दो बार बांग्लादेश को और एक दफा 2014 T-20 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में साउथ अफ्रीका को हराया। वो अलग बात है कि फाइनल में श्रीलंका से हार गए। इन 3 जीत के अलावा 8 दफे नॉकआउट मुकाबलों में टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा।

सरफराज के घरेलू क्रिकेट में रिकॉर्ड

2021-22 की रणजी ट्रॉफी में सरफराज ने 134 की अविश्वसनीय औसत से 982 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 2 अर्धशतक 4 शतक लगाए। इस सीजन में उनका सर्वाधिक स्कोर 275 रन रहा। सरफराज के घरेलू क्रिकेट में रिकॉर्ड की बात करें तो अभी तक 29 मैच में उन्होंने 81 की औसत से 2928 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 10 शतक और 8 अर्धशतक जमाए हैं।

 इसके अलावा न्यूजीलैंड-ए के खिलाफ भी सरफराज ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। 28 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में रन बनाने के मामले में सरफराज ने डॉन ब्रैडमैन को पछाड़ दिया और उनका 81 का एवरेज दुनिया में सिर्फ ब्रैडमैन से ही कम है।

सरफराज खान 12 साल की उम्र में उस समय खबरों में आए थे, जब उन्होंने हैरिस शील्ड इंटर स्कूल टूर्नामेंट में 439 रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने 56 चौके और 12 छक्के लगाए थे।

सरफराज खान के प्रदर्शन को देखें

क्रिकेट खेलने के कारण सरफराज खान 4 साल तक स्कूल नहीं जा पाए, इसलिए उनके पिता उन्हे घर पर ही इंगलिश और मैथ्स पढ़ाते थे। अगर इस साल बड़े मुकाबलों में सरफराज खान के प्रदर्शन को देखें तो वह रणजी ट्रॉफी फाइनल में 134, दिलीप ट्रॉफी फाइनल में 127 और ईरानी ट्रॉफी में 138 रनों की पारी खेल चुके हैं।

3 सबसे बड़े घरेलू फाइनल मुकाबलों में शतक बताता है कि जब भी मौका बड़ा होता है तो सरफराज जिम्मेदारी उठाने के लिए सबसे आगे खड़ा होता है। अगर आपको याद हो कि कितनी शिद्दत से हम 2021 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल तक पहुंच पाए थे लेकिन अंतिम में न्यूजीलैंड के हाथों करारी शिकस्त नसीब हुई थी।

2023 में ऑस्ट्रेलिया ने हमारा WTC फाइनल जीतने का ख्वाब तोड़ दिया। लगातार द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज जीतकर फाइनल का सफर और अंत में घोर निराशा…! इस निराशाजनक प्रदर्शन के पीछे भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन नहीं बल्कि बीसीसीआई और चयनकर्ताओं का टीम सिलेक्शन जिम्मेदार है।

टीम इंडिया की दावेदारी

अगर आप उन खिलाड़ियों को मौका नहीं देंगे जो महत्वपूर्ण मौकों पर अपने बूते गेम बदल सकते हैं, तो फिर जीत की उम्मीद भी बेमानी है। गलत टीम सिलेक्शन का परिणाम यह है कि आज हर हिंदुस्तानी क्रिकेट में फैंस की आंखों में पानी है। सरफराज खान का लगातार बेहतर प्रदर्शन उनकी टीम इंडिया की दावेदारी को मजबूत करता है।

भारतीय टेस्ट टीम अभी मिडिल ऑर्डर में बदलाव से गुजर रही है, जहां चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे का रिप्लेसमेंट ढूंढा जा रहा है। ऐसे में सरफराज खान इस रोल के लिए फिट बैठते दिखते हैं।

टेस्ट क्रिकेट में कंसिस्टेंसी

अगर सरफराज टेस्ट क्रिकेट में कंसिस्टेंसी दिखाते हैं तो उन्हें वनडे और टी-20 फॉर्मेट में भी आजमाया जा सकता है। पर किसी प्रतिभाशाली खिलाड़ी को वर्षों के शानदार प्रदर्शन के बावजूद टीम में मौका ना देना समझ से परे था। आखिरकार सरफराज भारतीय टीम से डेब्यू करने जा रहे हैं। उम्मीद है कि अब वह लंबे अरसे तक टीम में कायम रहेंगे।

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