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सहवाग दुनिया के इकलौते बल्लेबाज जिनके नाम दोहरा और तिहरा शतकों का रिकॉर्ड

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पैर नहीं चलते थे वीरू के, पर बल्ला बाकमाल चलता था। जो काम रोहित शर्मा इस वर्ल्ड कप में कर रहे हैं, वीरेंद्र सहवाग ने अपने पूरे करियर में वही किया। वीरू को लेकर हमेशा डर लगता रहता था। दिल कहता था इतना जोखिम मत उठा भाई। पर जिस गेंदबाज की गति देखकर अच्छे खासे बल्लेबाजों का कलेजा बैठ जाता था, वीरू उसको उठाकर सीमा रेखा के बाहर मारता था।

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 गेंदबाज भी एक पल को यकीन नहीं कर पाता था कि मुझे इतनी बेरहमी से पीटा गया है। 12 साल पहले 2011 का वनडे वर्ल्ड कप भारत में हुआ था। इस विश्व कप में भारत और पाकिस्तान एक दूसरे से सेमीफाइनल मुकाबले में भिड़े थे। यह वो दौर था, जब भारत के तूफानी ओपनर वीरेंद्र सहवाग पहली गेंद पर चौका लगाकर पारी का आगाज करते थे। वीरू से उस समय दुनिया का बेस्ट से बेस्ट गेंदबाज डरता था। कोई भी वीरेंद्र सहवाग के आगे आने की हिम्मत नहीं करता था। ये वीरू का रुतबा था।

ऐसे में जब 2011 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में पाकिस्तान के दिग्गज उमर गुल, वीरेंद्र सहवाग के सामने आए तो जो हुआ उसकी शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। कप्तान शाहीद अफरीदी ने उमर को भारतीय पारी का तीसरा ओवर करने को दिया। सहवाग ने उस ओवर में उमर गुल को लगातार 5 चौके जड़ उनकी धज्जियां उड़ा दी।

सहवाग ने मार-मारकर गुल की लाइन और लेंथ दोनों बिगाड़ दी थी। उस ओवर में उमर गुल को कुल 21 रन पड़े थे। सहवाग ने उस मैच में 25 गेंद पर 38 रन की तूफानी पारी खेली थी। उनकी इस पारी में 9 चौके शामिल थे। इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने भी 85 रन की मैच विनिंग इनिंग खेली थी।

भारतीय टीम वो रोमांचक सेमीफाइनल मैच 29 रन से जीत गई थी। इस मैच के बाद उमर गुल का करियर पटरी से उतर गया था। वीरू ने उमर गुल की ऐसी बत्ती गुल कर दी, जिसके बाद पाकिस्तान में उनकी जमकर फजीहत हुई थी। वीरू ने कई गेंदबाजों का करियर खत्म कर दिया। हम कहीं ना कहीं हमेशा से जानते थे कि सहवाग लंबी पारी नहीं खेलेंगे। पर जितना भी खेलेंगे, विरोधी के कलेजे में दहशत पैदा कर देंगे।

वीरू के सलामी जोड़ीदार सचिन शुरुआत संभाल कर करते थे। उन्हें पता रहता था कि सहवाग रुकने वाला नहीं है। ऐसे में सचिन अक्सर टीम की खातिर लंबी इनिंग खेलने की कोशिश करते थे। हम मन में प्रार्थना करते रहते थे, ‘सहवाग भाई रोक कर खेल, विकेट नहीं देना। ये खतरनाक बॉलर है , इस ओवर को झेल ले। अगले में धो लेना। आउट मत होना।’

 लेकिन हमारी प्रार्थनाओं को नजरंदाज करके कट पे कट लगाते हुए सहवाग उस खतरनाक बॉलर का भूत बना रहे होते था। तब सहवाग पर गुस्सा और प्यार एक साथ आता था। जिसने वीरेंद्र सहवाग को लाइव खेलते हुए देखा है, वह इस बात को भली-भांति महसूस कर पाएगा। सहवाग किसी की नहीं सुनते थे। जब तिहरा शतक जड़ना होता था, तब छक्का लगा देते थे। कई बल्लेबाज शतक के पहले नर्वस हो जाते हैं। वीरेंद्र सहवाग दुनिया के इकलौते बल्लेबाज हैं, जिन्होंने शतक, दोहरा शतक और तिहरा शतक छक्का जड़कर पूरा किया था

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