Bihar: जो अक्सर जारी करते फरमान, उनका इस विद्यालय पर नहीं है ध्यान!
School Without Building: बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर गंभीर हैं। वो आए दिन शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए नए-नए फरमान भी जारी करते रहते हैं। वहीं बिहार के बगहा में एक सरकारी स्कूल ऐसा है जहां न भवन है और न हीं मूलभूत सुविधाएं। यहां शिक्षकों के पास अपनी शिक्षण और स्कूल संबंधी सामग्री रखने के लिए एक झोपड़ी है तो वहीं बच्चों बैठने के लिए पेड़ों की छांव. हम बात कर रहे हैं पिपरासी प्रखंड के राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय बलुआ की।
School Without Building: पेड़ की छांव में जमीन पर बैठते हैं विद्यार्थी
दो नदियों के बीच स्थित यूपी सीमा से सटे पिपरासी प्रखंड के अंतर्गत यह एक ऐसा विद्यालय है, जिसके पास न तो अपनी भूमि है और न ही भवन। लिहाजा छात्र खुले आसमान के निचे बांस के पेड़ों की छांव में पढ़ने को मजबूर हैं। सर्दी, गर्मी या बरसात बच्चों को जमीन पर ही बैठना पड़ता है। गंडक दियारावर्ती इलाके के इस विद्यालय में छात्रों को पुस्तकें भी पूरी नहीं मिल सकी हैं।
गंडक नदी में समां गई थी विद्यालय की इमारत
बताया जा रहा है कि राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय बलुआ पिपरासी वर्षों पूर्व बाढ़ औऱ गंडक नदी के कटाव के कारण नदी में विलीन हो गया तब से यहां दूसरा भवन निर्माण नहीं कराया गया है। इसको मध्य विद्यालय का दर्ज़ा तो मिल गया लेकिन न तो भूमि अधिग्रहण किया गया और न ही भवन औऱ बुनियादी चीजें नसीब हुईं।
शिक्षकों ने झोंपड़ी में बनाया कार्यालय
अब हालात यह कि गर्मी, बरसात हो या सर्दी, क़रीब सवा सौ स्कूली बच्चे ज़मीन पर बोरियां बिछाकर पढ़ने को विवश हैं। शिक्षक ख़ुद से एक झोपड़ी बनाकर उसी में रजिस्टर फ़ाइल औऱ कार्यालय चला रहे हैं। इसी कार्यालय में मध्य वर्ग की दो दो कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। अन्य सभी क्लास बांस के पेड़ों के नीचे चल रही हैं। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारी हालात से रूबरू भी हुए हैं और प्रधानाध्यापक ने पत्राचार भी किया है लेकिन समस्याएं जस की तस हैं।
रिपोर्टः परवेज आलम, संवाददाता, बगहा, बिहार
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