
Saurabh Bhardwaj to Delhi LG : नई दिल्ली स्थित आम आदमी पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता की गई. इसको संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पिछले दो दिन से दिल्ली के आशा किरण नामक होम शेल्टर में जुलाई के महीने में वहां रहने वाले बहुत से लोगों की मृत्यु का मामला उठ रहा है. उन्होंने कहा कि इस होम शेल्टर में रहने वाले लगभग सभी लोग मानसिक रूप से कमजोर लोग हैं और ऐसे लोग मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण शारीरिक रूप से भी कमजोर होते हैं और अक्सर बीमारियों से पीड़ित होते हैं. मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण वह अपने खाने-पीने का भी पूरी तरह से ध्यान नहीं रख पाते हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि जो कोई भी व्यक्ति उनकी देखभाल के लिए यहां नियुक्त किया गया है उसमें सेवा भाव का होना बेहद जरूरी है.
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आज दिल्ली विधानसभा की पिटीशन कमेटी की एक विधायकों की टीम आशा किरण होम शेल्टर मामले की जांच करने पहुंची, तो वहां के प्रशासन ने पिटीशन कमेटी की टीम को भीतर नहीं आने दिया. मजबूरी वश टीम को वहां धरना देना पड़ा, बहुत अधिक मात्रा में मीडिया वहां इकट्ठा था, तो मीडिया के दबाव में आकर प्रशासन ने पिटीशन कमेटी द्वारा भेजी गई टीम को होम सेंटर के भीतर प्रवेश करने दिया.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पिछले काफी समय से दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर एक बहस छिड़ी हुई है, कि ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार किसके पास रहेगा. सामान्यतः यह सुनने में बड़ा साधारण सा लगता है. परंतु किसी भी सरकार के लिए सिस्टम को चलाने का आधार ही ट्रांसफर पोस्टिंग होता है. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यहां प्रेस वार्ता करने से पहले मेरी कुछ अधिकारी लोगों से बात हुई तो उन्होंने आशा किरण होम सेंटर के बारे में मुझे बताते हुए कहा, कि इस होम सेंटर में एडमिनिस्ट्रेटर और सुपरिंटेंडेंट की पोस्ट एक बड़ी ही मलाईदार पोस्ट है. जिसमें भ्रष्टाचार करने के बहुत अधिक अवसर हैं. उन्होंने बताया ऐसा इसलिए है कि होम सेंटर में रहने वाले लोगों के खाने के लिए टेंडर, दवाइयां के लिए टेंडर तथा अन्य चीजों के लिए कॉंट्रैक्ट आदि इन सुपरिंटेंडेंट और एडमिनिस्ट्रेटर के अधीन ही होते है.
भाजपा शासित केंद्र सरकार और उपराज्यपाल महोदय से प्रश्न पूछते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि वर्तमान में इस होम सेंटर के एडमिनिस्ट्रेटर राहुल अग्रवाल को आखिर क्या सोचकर एलजी साहब ने यहां की जिम्मेदारी सौंपी है. पूर्व में घटित एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि यह राहुल अग्रवाल वही राहुल अग्रवाल हैं, जो कि 2016 में रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार हुए थे. सौरभ भारद्वाज ने बताया कि बतौर एसडीएम ₹50000 की रिश्वत लेते हुए राहुल अग्रवाल की गिरफ्तारी हुई थी और यह ख़बर अखबारों में भी छपी थी.
उन्होंने बताया कि इस मामले में सीबीआई ने जब राहुल अग्रवाल के घर छापा मारा तो उनकी पत्नी ने सारा धन और ज्वेलरी छत पर टंकी के पास छिपा दिया था. साथ ही साथ सौरभ भारद्वाज ने यह भी बताया कि इस मामले में राहुल अग्रवाल 5 साल निलंबित रहे. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आपने हमसे ट्रांसफर पोस्टिंग की पावर छीनी सिस्टम को सही तरीके से चलाने के लिए, तो फिर किस आधार पर आपने एक भ्रष्ट अधिकारी को जो कि रिश्वत लेने के आरोप में 5 साल निलंबित रहा, ऐसे व्यक्ति को आशा किरण होम सेंटर का एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया ?
उन्होंने भाजपा शासित केंद्र सरकार और उपराज्यपाल महोदय से प्रश्न पूछते हुए कहा कि जब यह सभी बातें सार्वजनिक तौर पर मौजूद हैं तो आखिर ऐसी क्या मजबूरी आन पड़ी कि भाजपा की केंद्र सरकार और एलजी सहाब ने ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को इस आशा किरण होम सेंटर की जिम्मेदारी सौंपी?
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मीडिया के माध्यम से ही हमें भी यह ख़बरें मिली हैं, कि इस आशा किरण शेल्टर होम में रहने वाले मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्तियों को पिछले काफी समय से न तो पूर्ण रूप से भोजन दिया जा रहा था, न ही पीने के लिए स्वच्छ पानी दिया जा रहा था और बीमार लोगों का इलाज भी नहीं कराया जा रहा था.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब यह सभी जानकारियां सार्वजनिक तौर पर मौजूद हैं तो उपराज्यपाल महोदय ने अब तक इस आशा किरण होम सेंटर के एडमिनिस्ट्रेटर को सस्पेंड क्यों नहीं किया? उपराज्यपाल महोदय आखिर किस बात का इंतजार कर रहे हैं? सोशल वेलफेयर विभाग के सचिव विनोद तावले को अब तक क्यों नहीं सस्पेंड किया गया? उन्होंने कहा इसी प्रकार से राजेंद्र नगर में बेसमेंट में छात्रों की मृत्यु वाले हादसे में भी मैंने सारे सबूत सार्वजनिक तौर पर प्रस्तुत कर दिए. बतौर मंत्री मुख्य सचिव को कई बार निर्देश दिए डी सिल्टिंग की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए, डी सिल्टिंग की थर्ड पार्टी ऑडिट करने के लिए, परंतु बार-बार कहने के बावजूद भी मुख्य सचिव द्वारा न तो रिपोर्ट प्रस्तुत की गई और न ही डिसिल्टिंग का थर्ड पार्टी ऑडिट कराया गया. उपराज्यपाल महोदय ने अब तक मुख्य सचिव को सस्पेंड क्यों नहीं किया?
एक अन्य प्रश्न पूछते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि डीडीए के नाले में गिरकर एक मां और बेटे की मौत हो गई. अब तक उपराज्यपाल महोदय ने डीडीए के अधिकारियों पर क्यों कोई कार्रवाई नहीं की. जबकि डीडीए तो सीधे तौर पर उपराज्यपाल महोदय के अधीन आता है?
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