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दिल्ली के रिज फॉरेस्ट एरिया में उपराज्यपाल महोदय ने गैरकानूनी तरीके से कटवाए 1100 वृक्ष : सौरभ भारद्वाज

Saurabh allegation on LG: दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में आम आदमी पार्टी के नेता और कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया. उन्होंने कहा,  आज सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक बेहद ही चौंकाने वाला मामला आया जिसको सुनने के बाद पूरी दिल्ली के लोग सदमे में हैंI यह बेहद ही चौंकाने वाली बात है, कि छतरपुर के सतबड़ी इलाके के पास स्थित वन्य क्षेत्र रिड्ज में लगभग 1100 बड़े वृक्ष गैरकानूनी तरीके से चोरी छिपे काट दिए गए.

उन्होंने कहा कि रिज एरिया में पेड़ों की सुरक्षा के लिए रिज मैनेजमेंट बोर्ड होता है और रिज मैनेजमेंट बोर्ड एवं डीडीए तथा दिल्ली के सभी अधिकारी इस बात को भली-भांति जानते हैं, कि वन्य क्षेत्र में एक पेड़ काटने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेनी होती है, परंतु इस क्षेत्र में लगभग 1100 पेड़ बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लिए चोरी छिपे गैरकानूनी तरीके से काट दिए गए और केंद्र सरकार का डीडीए विभाग, रिज मैनेजमेंट बोर्ड और सभी अन्य अधिकारी इस मामले पर खामोश हैं.

उन्होंने कहा कि लगभग पिछले 50-60 सालों में ऐसा पहली बार देखने को मिला कि दिल्ली का तापमान 52 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सभी विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि गर्मी के अधिक बढ़ने का सबसे बड़ा कारण क्लाइमेट चेंज है और यह सब पेड़ पौधों की कमी के कारण होता है.

उन्होंने कहा की देश में बड़े स्तर पर वृक्ष लगाने की मुहिम चलाई जा रही है. यहां तक की स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों को भी वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. जहां लाखों पौधे लगाने के बाद मात्र कुछ हजार पौधे ही पूर्ण रूप से वृक्ष बन पाते हैं, ऐसी स्थिति में एक सरकारी वन्य क्षेत्र में गैर कानूनी तरीके से 1100 पेड़ों का काट दिया जाना और उस पर विभाग के सभी अधिकारियों का खामोश रहना बेहद ही चौंकाने वाली बात है.

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि 3 फरवरी को दिल्ली के उपराज्यपाल महोदय जो कि डीडीए के अध्यक्ष भी हैं, उनका इस वन्य क्षेत्र में एक दौरा हुआ और उनके दौरे के कुछ दिन बाद ही इस वन्य क्षेत्र में बिना किसी परमिशन के सुप्रीम कोर्ट की जानकारी के बिना लगभग 1100 पेड़ काट दिए गए. उन्होंने बताया कि एक एनजीओ को जब इसकी जानकारी हुई तो उसने छानबीन करना शुरू की. एनजीओ की छानबीन से डीडीए में घबराहट पैदा हुई और आनन-फानन में पेड़ काटने के बाद मार्च के महीने में डीडीए सुप्रीम कोर्ट इन पेड़ों की कटाई की परमिशन लेने पहुंची. उप राज्यपाल महोदय के अधीन आने वाली डीडीए की इंतिहा देखो, कि पेड़ पहले ही चोरी छिपे काट दिए गए हैं और अब अपनी चोरी को छुपाने के लिए पेड़ों के काटने के बाद सुप्रीम कोर्ट में उसकी कटाई की परमिशन लेने पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए द्वारा इन पेड़ों की कटाई के लिए जो एप्लीकेशन डाली थी उसे रिजेक्ट कर दिया.

एनजीओ के बारे में बताते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दो एनजीओ कपूरिया और न्यू दिल्ली नेचर सोसाइटी जो की इन पेड़ों की कटाई के मामले में छानबीन कर रही थी, यह दोनों एनजीओ मई के महीने में सुप्रीम कोर्ट पहुंची और इन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि डीडीए जिन पेड़ों को काटने की परमिशन मार्च में मांग रही थी, वह पेड़ फरवरी में ही काट दिए गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात से बेहद नाराज होते हुए डीडीए को फटकार लगाते हुए कहा कि आपने कोर्ट के समक्ष झूठा हलफनामा प्रस्तुत किया, जबकि आप पेड़ पहले ही काट चुके हो, आपकी किसी बात का विश्वास नहीं किया जा सकता और सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने डीडीए के उपाध्यक्ष श्रीमान पांडा के ऊपर आपराधिक अवमानना का मामला लगा दिया और और उन्हें सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत होने के लिए कहा.

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि आज इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी. सुनवाई के दौरान विभाग द्वारा पूरे मामले के संबंध में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों को जब कोर्ट ने गौर से पढा तो सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को दस्तावेजों के माध्यम से जाना और कोर्ट ने खुद कहा कि दस्तावेजों के अनुसार दिल्ली के उपराज्यपाल महोदय विनय कुमार सक्सेना जी ने गैर कानूनी तरीके से चोरी छुपे सतबड़ी वन्य क्षेत्र के 1100 पेड़ों को कटवा दिया.

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल महोदय जो रोजाना नैतिकता के पहाड़ पर चढ़कर दिल्ली सरकार को उपदेश देते रहते हैं, उन्होंने चोरी छुपे हम दिल्ली वालों के 1100 पेड़ गैरकानूनी तरीके से कटवा दिए. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दस्तावेजों में यह लिखित है, कि उपराज्यपाल महोदय की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि 1100 पेड़ों को काट दिया जाए और केवल मौखिक उपदेश के आधार पर डीडीए विभाग ने सतबड़ी वन्य क्षेत्र के 1100 पेड़ों को काट दिए. किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं कि उपराज्यपाल महोदय से पूछ सके कि यह गैरकानूनी काम है और बिना अनुमति के कैसे यह पेड़ काट दिए जाएं.

उन्होंने कहा कि पिछली बार सुप्रीम कोर्ट के समक्ष डीडीए के उपाध्यक्ष जो कि एक सीनियर आईएएस अधिकारी होता है ने इस बात को स्वीकार किया था कि इन 1100 पेड़ों की कटाई के संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है.  इन परिस्थितियों को देखते हुए आप अंदाजा लगा सकते हैं, कि भाजपा के उपराज्यपाल महोदय ने डीडीए विभाग में और रिज विभाग में किस प्रकार का आतंक मचा रखा है.

मीडिया के माध्यम से उपराज्यपाल महोदय विनय सक्सेना के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि राष्ट्रपति को और राज्यपाल को संविधान में छूट इसलिए दी गई है, क्योंकि यह दोनों ही व्यक्ति खुद से कोई फैसला नहीं लेते, सरकार द्वारा लिए गए फसलों पर केवल हस्ताक्षर करते हैं. परंतु यहां उपराज्यपाल महोदय बिना सरकार की सहमति के और बिना अनुमति के लगातार गैर कानूनी निर्देश दिए जा रहे हैं. ऐसे मामले में उपराज्यपाल महोदय को छूट नहीं दी जा सकती। उन पर मुकदमा होना चाहिए. यह जो 1100 पेड़ बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के उपराज्यपाल महोदय के निर्देश पर काटे गए हैं. इसके लिए उपराज्यपाल महोदय पर मुकदमा होना चाहिए और उन्हें सजा मिलनी चाहिए.

 उन्होंने कहा कि यदि उपराज्यपाल महोदय द्वारा किए जा रहे गैरकानूनी कामों के लिए उन पर मुकदमा नहीं किया जाएगा तो इस प्रकार से यह पूरी दिल्ली को बर्बाद कर देंगे. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 1100 भरे पूरे वृक्षों को कटवाने का जो जघन्य अपराध उपराज्यपाल महोदय ने किया है, उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. उन्हें नैतिकता के आधार पर अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.

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