सोम प्रदोष व्रत रखने से सुख, समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है । सोम प्रदोष का व्रत शिवजी के लिए रखा जाता है। इस बार संवत 2079 मार्गशीर्ष मास में दो बार सोमप्रदोष का संयोग बन रहा है। पहला सोमप्रदोष व्रत 21 नवंबर 2022 को रखा जाएगा और दूसरा सोमप्रदोष 5 दिसंबर को आएगा
हिंदू पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि सोमवार 21 नवंबर को सुबह 10 बजकर 07 मिनट से लेकर मंगलवार, 22 नवंबर को सुबह 08 बजकर 49 मिनट तक रहेगा । आइए जानते है सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
शाम 05 बजकर 34 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 14 मिनट तक भगवान शिव की पूजा का उत्तम मुहूर्त है ।
सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। सोम प्रदोष व्रत की पूजा में शिव-पार्वती के श्रृंगार की सामग्री, गाय का कच्चा दूध, पुष्प, पांच तरह के फल, पांच तरह की मेवा, पांच प्रकार की मिठाई, कपूर, मिश्री, धूप, बेलपत्र, इत्र, देशी घी, शहद, दीप, रूई, गंगा जल, धतूरा, भांग, बेर और चंदन का प्रयोग किया जाता है ।
सोमप्रदोष के दिन भगवान शिव का अभिषेक गाय के कच्चे दूध से करें और उसमें मिश्री और गुलाब का पुष्प डाल लें।
प्रदोष के दिन प्रदोषकाल में शिवमंदिर की साफ-सफाई करके भगवान का शोडषोपचार पूजन करें। दूध, दही, शहद, गंगाजल, घी से अभिषेक करें। उसके बाद स्वच्छ जल से अभिषेक करें । शहद में भीगे हुए बेलपत्र अर्पित करें।
उसके बाद शिवजी को सारी सामग्री चढाएं। भगवान को धूप दीप दिखाएं । शिव जी और माता पार्वती की आरती करें । साथ ही अंत में भगवान से सभी गलती के लिए क्षमा मांगे ।
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