सावन में पड़ने वाले मंगलवार को मंगला गौरी कहते है। सावन के सोमवार की तरह मंगला गौरी का व्रत भी रखा जाता है। मंगला गौरी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की साथ में पूजा की जाती है। इस व्रत को सावन महीने के हर मंगलवार को रखा जाता है। विवाहित स्त्रियां अपने वैवाहिक जीवन की मंगलकामना और माता गौरी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस व्रत को करती हैं। तो आइए जानते हैं आज कैसे करें मंगला गौरी व्रत की पूजा –
मां मंगला की पूजा विधि –
मां मंगला गौरी यानी मां पार्वती की तस्वीर लेकर चौकी पर लाल या सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर रख दें। आटे से दीपक बनाकर उसमें घी भरकर मां पार्वती के सामने प्रज्वलित कर रख दें. मां मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन करें। मां मंगला गौरी को 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ियां मिठाई अर्पण करें।
मंगला गौरी व्रत कथा
एक नगर में एक व्यापारी अपनी पत्नी के साथ सुखी से जीवन जी रहा था। उसे धन दौलत की कोई कमी नहीं थी। लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी। इसलिए सारी सुख सुविधाएं होते हुए थी दोनों पति पत्नी खुश नहीं रहते थे। खूब पूर्जा अर्चना करने के बाद उन्हें पुत्र का वरदान प्राप्त हुआ। लेकिन ज्योतिषियों ने कहा कि वह अल्पायु है और 17 साल का होते ही उसकी मृत्यु हो जाएगी। इस बात को जानने के बाद पति पत्नी और भी दुखी हो गए। लेकिन उन्होंने इसे ही अपना और पुत्र का भाग्य मान लिया।
कुछ समय बाद उन्होंने अपने बेटे की शादी एक सुंदर और संस्करी कन्या से कर दी। वह कन्या सदैव मंगला गौरी का व्रत करती और मां पार्वती की विधिवत पूजन करती थी। इस व्रत के प्रभाव से उत्पन्न कन्या को अखंड सौभाग्यवती होने का आशिर्वाद प्राप्त था। इसके परिणाम स्वरुप सेठ के पुत्र की मृत्यु टल गई और उसे दीर्घायु प्राप्त हुई।
मंगला गौरी व्रत का मंत्र
ॐ गौरी शंकराय नमः
ॐ श्री मंगला गौरी नमः
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