
Lord Shiva Puja: क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने के फायदे, शिवलिंग एक प्रकार का प्रतीक चिन्ह होता है जो कि भगवान शिव के मंदिरों के अंदर स्थापित होता है। शिवलिंग गोलाकार होता है। शिवलिंग का ऊपरी अंडाकार भाग पर शिव का प्रतिनिधित्व करता है व निचला हिस्सा यानी पीठम् पराशक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। आपको बता दें कि धातु या चिकनी मिट्टी से बना हुआ शिवलिंग स्तम्भाकार या अंडाकार होता है। वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है। यह शिव और माता पार्वती की समानता का प्रतीक भी है और दोनों की समानता का भी प्रतीक है। इस संसार के अंदर पुरूष और स्त्री दोनों का समान रूप से वर्चस्व है। शिवलिंग निराकार प्रभु और सर्वशक्तिमान प्रभु की याद दिलाता है।
शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति
यदि आपके यहां पर शिवलिंग (Lord Shiva Puja) है या फिर शिव मंदिर है तो आपने भी शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए देखा होगा और आपके मन मे भी सवाल आया होगा कि शिवलिंग पर जल क्यों चढ़ाते हैं? चलिए जानते हैं के अंदर हम जानेंगे कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने के क्या फायदे होते हैं?
शिवलिंग पर जल चढ़ाने के फायदे
- अशुभ ग्रहों का प्रभाव दूर होता है।
- धन और संपदा का लाभ मिलता है।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाने से होगी मान सम्मान की प्राप्ति।
- शारिरिक और मानसिक पाप का होता है नाश।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मिलती है दिमाग को शांति।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाने से दूर होगी मलिनता।
- जीवन के अंदर चिंता, परेशानी को खत्म करता है शिवलिंग पर जल चढ़ाना।
यदि आप शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं तो यह आपके मन को भी शांत करने का कार्य करता है। जल चढ़ाने (Lord Shiva Puja) के लिए आपको रोजाना मंदिर के अंदर जाना होता है और मंदिर के अंदर जाने से मन को शांति मिलती है। कुछ लोगों के मन मे बड़ी उथल पुथल मची होती है। मन को शांत और एकाग्र करने के लिए शिवलिंग के उपर जल चढ़ाना बहुत ही उपयोगी होता है। आप 30 दिन तक लगातार शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। ऐसा करने से आपके मन की एकाग्रता मे बढ़ोतरी होगी।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र
मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।
तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने की विधि
आप शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं तो आपको इसकी पूरी विधि का पता होना बहुत (Lord Shiva Puja) जरूरी है। जल चढ़ाने के लिए आपके पास एक तांबे के पात्र के अंदर जल होना चाहिए और उस जल मे गंगाजल भी मिला होना चाहिए। अब जिस जगह पर आप जाते हैं उस जगह पर शिवलिंग के चारों तरफ कुछ देवता विराजमान होते हैं। सबसे पहले आपको गणेश जी पर जल चढ़ाएं। उसके बाद आपको माता पार्वती पर जल चढ़ाए। उसके बाद कार्तिकय पर आपको जल चढ़ाना होगा। फिर आपको नंदी का स्नान करवाना होगा। फिर आपको विरभद्र देवता का स्नान करवाना है। जो शिवलिंग के आगे विराजमान होते हैं। फिर आपको सर्प देवता पर जल चढ़ाना होगा। फिर आपको शंकर भगवान के उपर जल चढ़ाना होगा और यदि आप दूध को चढ़ाना चाहते हैं तो इसी क्रम मे आपको शिवलिंग पर दूध चढ़ा देना चाहिए।
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