Karva Chauth: सनातन परंपरा में सुख, संपत्ति और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न प्रकार की पूजा, जप और व्रत बताए गए हैं। महिलाओं के लिए सुखी दांपत्य जीवन और पति की लंबी आयु को दिलाने वाले व्रतों में करवा चौथ समेत कई ऐसे व्रत हैं, जिनको विधि-विधान से करने पर उन्हें देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यही वजह है कि सुहागिन महिलाएं इन व्रतों को रखने के लिए पूरे साल इंतजार करती हैं। हिंदू मान्यता है कि आस्था से जुड़े इन व्रत को करने पर महिलाएं अपने पति को बड़ी से बड़ी विपत्ति से बाहर निकाल सकती हैं। आइए सुखी दांपत्य जीवन का वरदान दिलाने वाल ऐसे ही 5 प्रमुख व्रत के बारे में विस्तार से जानते हैं।
हिंदू धर्म में इस व्रत को करवा माता, शिव-पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है, जो कार्तिक महीने की कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। हिंदू धर्म में करवा माता का आशीर्वाद महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखते हुए शाम को चंद्र देवता की पूजा करने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं।
पति की लंबी आयु और सुख सौभाग्य की कामना लिए महिलाएं हर साल श्रावण मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि पर हरियाली तीज का व्रत रखती हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन 16 श्रृंगार करके जब महिलाएं शिव-पार्वती की विधि-विधान से पूजा करती हैं तो उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। इस व्रत को कुंआरी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए भी रखती हैं।
हिंदू धर्म में पति के मंगलकामना और लंबी आयु के लिए श्रावण मास के मंगलवार पर विशेष्ज्ञ रूप से मंगला गौरी व्रत रखने का विधान है। यह व्रत माता पार्वती की पूजा से संबंधित है। मान्यता है कि इस व्रत को करने पर न सिर्फ शादीशुदा महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि इसे करने पर कुंआरी कन्याओं की मनचाहा वर पाने की कामना भी पूरी होती है।
अपने पति के सुख-सौभाग्य की कामना लिए महिलाएं हर साल इस व्रत को भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की तृतीया को रखती हैं। कजली तीज को सतूड़ी तीज भी कहा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने पर विवाहित महिलाओं के पति की आयु बढ़ती है तो वहीं अविवाहित कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि माता पार्वती ने महादेव को पाने के लिए कई साल तक तक तप किया था। जिस दिन उनके तप से प्रसन्न होकर महादेव उनसे मिले तो वो दिन भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की तृतीया थी। ऐसे में इस दिन माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
सनातन परंपरा में पति की लंबी आयु को पाने के लिए अशून्य शयन व्रत का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है। इस व्रत में महिलाएं जगत के पालनहार भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा करती हैं। इस व्रत को हर साल चातुर्मास में किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने पर महिलाओं के जीवन में हमेशा खुशहाली बनी रहती है।
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