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भाद्रपद अमावस्या, हरितालिका तीज, गणेश चतुर्थी, जानें सितंबर के दूसरे सप्ताह में पड़ने वाले त्योहारों का महत्व और तिथि

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धर्म: 2021 का सितंबर माह हिंदुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण महीना है, क्योंकि आज यानि 6 सिंतबर को भाद्रपद अमावस्या है। इसे कुछ जगहों पर पिठोरी अमावस्या या कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी बुलाया जाता है। इसी दिन के बाद से हिंदुओं के त्योहारों की शुरूआत हो जाती है। सितंबर के इस सप्ताह में एक के बाद एक कई त्योहार हैँ। अखंड सौभाग्यवती हरितालिका तीज, महाराष्ट्र में धूम-धाम से मनाया जाने वाला विघ्नहर्ता गणेश चतुर्थी, उसके बाद ऋषि पंचमी और स्कंद षष्ठी के व्रत का त्योहार भी आएगा। आइये जानते हैं कि ये महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार कब और किस दिन पड़ने वाले हैं, साथ ही ये भी जानेंगे कि इन त्योहारों के महत्व क्या हैं?

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06 सितंबर (भाद्रपद अमावस्या)

आज यानि सोमवार को भाद्रपद माह की अमावस्या (पिठोरी अमावस्या या कुशग्रहणी अमावस्या) है। इस अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण आदि संस्कार किए जाते हैं। इस दिन की पूजा और धार्मिक कार्यों में कुश का प्रयोग किया जाता है, जिसकी वजह से इसे कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।

कुछ जगहों पर इस दिन घर की स्त्रियां व्रत रखती हैं और आटे के की लोई से मां शक्ति के साथ अन्य कई प्रमुख देवियों की प्रतिकात्मक मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा करती हैं। जिसके कारण इसे पिठोरी अमावस्या के नाम से भी बुलाया जाता है।

09 सितंबर (अखंड सौभाग्य देने वाली हरितालिका तीज)

गुरुवार को पड़ने वाले इस त्योहार पर स्त्रियां व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। ऐसा माना जाता है कि सही विधि से हरितालिका तीज का व्रत रखने से शिव-पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और नि:संतानों को संतान-प्राप्ति की सुख भी मिलता है।

10 सितंबर (गणेश चतुर्थी एवं गणेश-मूर्ति स्थापना)

पूरे महाराष्ट्र में धूम-धाम से मनाया जाने वाला गणेश उत्सव सितंबर माह की 10 तारीख यानि शुक्रवार से प्रारंभ होने वाला है। इस दिन लोग अपने घरों में विघ्नहर्ता गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। और 10 दिन के बाद नाचते गाते ढ़ोल बजाते और होली खेलते हुए बड़े धूम-धाम से जल में विसर्जित कर देते हैं। मुख्य रूप से मुंबई और महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला यह त्योहार अब पूरे देश में मनाया जाने लगा है। जगह-जगह पंडाल लगाकर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है।

11 सितंबर (ऋषि पंचमी) गणेश चतुर्थी के ठीक अगले दिन पड़ने वाला यह व्रत शनिवार को है। इसमें सप्त-ऋषियों की पूजा की जाती है।

12 सितंबर (स्कंद षष्ठी) रविवार को भाद्रपद माह की स्कंद षष्ठी है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद कुमार के नाम से भी पुकारा जाता है, जिसकी वजह से इस दिन को स्कंद षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।

डिस्क्लेमर-

हिंदी ख़बर के पाठकों तक जानकारी पहुंचाने के उद्देश्य से विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचाग/प्रवचनों आदि से संग्रहित कर ये जानकारी आपके सामने प्रस्तुत की गई है। इस लेख में सम्मिलित किसी भी सामग्री अथवा गणना की निश्चितता व सटीकता की गारंटी नहीं है। इसे केवल सूचना के तौर पर ही लिया जाए। इसके अतिरिक्त किसी अन्य तरीके से इसका उपयोग करने पर पाठकगण खुद जिम्मेदार होंगे।

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