पोषण पखवाड़ा 2025 का 7वां संस्करण आज से शुरू, जानें क्या है इस साल की थीम

पोषण पखवाड़ा 2025 का 7वां संस्करण 8 अप्रैल से 22 अप्रैल 2025 तक आयोजित किया जाएगा
Poshan Pakhwada 2025 : भारत जैसे विशाल देश में, जहां विज्ञान और तकनीक में निरंतर प्रगति हो रही है, वहीं कुपोषण अब भी एक गंभीर और जटिल सामाजिक संकट बना हुआ है। यही वजह है कि सरकार ने वर्ष 2018 में ‘पोषण अभियान’ की शुरुआत की थी। जिसका मुख्य उद्देश्य कमजोर वर्गों, जिनमें किशोरी लड़कियां, गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं और 6 साल से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, के पोषण स्तर को सुधारना है।
यह कार्यक्रम प्रौद्योगिकी, समन्वय और समुदाय की भागीदारी का लाभ उठाकर कुपोषण, एनीमिया और कम जन्म वजन को कम करने का प्रयास करता है। यह पहल कुपोषण को हल करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाती है, जिसमें शिशु पोषण, कुपोषण प्रबंधन और मोटापा निवारण को प्राथमिकता दी जाती है।

पोषण पखवाड़ा 2025 : तारीख और विषय
पोषण पखवाड़ा 2025 का 7वां संस्करण 8 अप्रैल से 22 अप्रैल 2025 तक आयोजित किया जाएगा। वहीं इस बार इसकी थीम – मातृ और शिशु पोषण, डिजिटल पहुंच और बालकाओं में मोटापे को लेकर जागरूकता फैलाना है। परिणाम-आधारित हस्तक्षेपों के साथ, यह अभियान पोषण कल्याण को बढ़ाने और स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है। यह पहल कमजोर वर्गों, विशेष रूप से माताओं और बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण को बेहतर बनाने में योगदान करेगी और लक्षित प्रयासों के माध्यम से एक स्वस्थ और पोषित समाज की दिशा में कदम बढ़ाएगी।
पोषण पखवाड़े से जुड़ी अहम बातें
- पोषण अभियान का मकसद तकनीक और परंपरा के तालमेल से बच्चों और महिलाओं के बीच स्वस्थ और पौष्टिक आहार को बढ़ावा देना है।
- पोषण पखवाड़ा 2025 बच्चे के जीवन के पहले 1,000 दिनों पर केंद्रित है, क्योंकि यह बच्चे के विकास के लिए बेहद अहम वक्त होता है।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग – पोषण ट्रैकर आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषण सेवाओं की वास्तविक समय की निगरानी को सक्षम बनाता है।
- लाभार्थी अब बेहतर पहुंच के लिए पोषण ट्रैकर वेब ऐप के जरिए खुद पंजीकरण कर सकते हैं।
- गंभीर कुपोषण का समुदाय-आधारित प्रबंधन प्रोटोकॉल (सीएमएएम), समस्या का शीघ्र पता लगाने और समुदाय-आधारित प्रबंधन में मदद करता है।
- पोषण पखवाड़ा स्वस्थ भोजन विकल्पों को बढ़ावा देकर बचपन के मोटापे पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

कुपोषण क्या है?
कुपोषण तब होता है जब किसी व्यक्ति का आहार आवश्यक पोषक तत्वों में से किसी एक का या अधिक का अभाव, अधिकता या असंतुलन होता है। इसमें दो स्थितियां शामिल होती हैं: उपोषण, जिसमें शरीर की आवश्यकताएं पूरी नहीं होतीं, जो वृद्धि, शारीरिक भलाई और मानसिक स्थिति को प्रभावित करती हैं, और ओवरन्यूट्रिशन, जो मोटापे और आहार संबंधित रोगों जैसे मधुमेह और हृदय रोगों का कारण बनता है। कुपोषण मुख्य रूप से बच्चों में होता है, जिससे स्टंटिंग, वेस्टिंग और कम वजन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जिनके गंभीर प्रभाव शारीरिक स्वास्थ्य और शरीर की प्रक्रियाओं पर पड़ते हैं।
कुपोषण के सामान्य लक्षण बच्चों में
- कम वजन, जिसमें वसा और मांसपेशियों की कमी होती है।
- पतली बांहें और पैर
- बच्चों में वृद्धि और बौद्धिक विकास में रुकावट।
- कमजोरी और थकान।
- चिड़चिड़ापन।
- कम भूख।
- सूखी त्वचा और चकत्ते।
- नाजुक बाल, बालों का झड़ना और बालों का रंग उड़ जाना।
- गंभीर संक्रमण।
- शरीर का तापमान कम होना।
- दिल की दर और रक्तचाप का कम होना।
यह भी पढ़ें : क्यों मनाया जाता है हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस, क्या है इसका इतिहास और इस बार की थीम, जानें
Hindi Khabar App: देश, राजनीति, टेक, बॉलीवुड, राष्ट्र, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल, ऑटो से जुड़ी ख़बरों को मोबाइल पर पढ़ने के लिए हमारे ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कीजिए. हिन्दी ख़बर ऐप