
इस बार उत्तर प्रदेश में यदि महिला आरक्षण बिल संसद से पास हो जाए तो यूपी की महिलाओं को भी इससे काफी फायदा होगा। यहां महिलाओं के लिए 26 लोकसभा सीटें और 132 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं। आजादी के 75 साल बाद भी यहां की आधी आबादी को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है।
वर्तमान में यूपी विधानसभा के 403 सदस्यों में से 48 महिलाएं हैं। इसका मतलब है कि हाउस ऑफ कॉमन्स में उनकी भागीदारी केवल 12 प्रतिशत है, जो उनकी आबादी की तुलना में बहुत कम है। उच्च सदन या विधान परिषद में उनकी भागीदारी सिर्फ 6 फीसदी है। यूपी में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से केवल 11 सांसद महिलाएं हैं। इस प्रकार, यूपी की लोकसभा सीटों में उनकी हिस्सेदारी राष्ट्रीय औसत 15 प्रतिशत से कम है। यूपी की कुल लोकसभा सीटों में से सिर्फ 14 फीसदी सीटों पर महिलाओं का कब्जा है।
महिलाओं राजनीतिक भागीदारी बढ़ेगी
राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर संजय गुप्ता का कहना है कि महिलाओं के लिए आरक्षण शुरू करने से उनकी राजनीतिक भागीदारी बढ़ेगी, जिससे उनकी मुक्ति के सच्चे युग की शुरुआत होगी। रुहेलखंड विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान की व्याख्याता डॉ. वंदना शर्मा का कहना है कि महिलाओं की लंबे समय से चली आ रही इच्छा पूरी हो गई है। इससे उन्हें समाज में सच्चे अर्थों में समान अधिकार प्राप्त हो सकते हैं।