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ममता से छिटका बंगाल का मुसलमान? ISF की सेंध अभिषेक के गढ़ में

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बंगाल में पंचायत चुनाव का नतीजा स्पष्ट हो गया है। चुनाव के परिणामों से निकले मुसलमानों के संकेत ने ममता बनर्जी की पार्टी की टेंशन जरुर बढ़ा दी है। बता दें कि मुस्लिम बेल्ट मुर्शिदाबाद, मालदा, दक्षिण 24 परगना और उत्तर दिनाजपुर में पार्टी को उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिले। भद्रलोक की सियासत में मुसलमानों के ममता से दूर होने की चर्चा शुरू हो गई है। दक्षिण 24 परगना में नवगठित इंडियन सेक्युलर फ्रंट तृणमूल के मुस्लिम वोटरों में बड़े स्तर पर सेंधमारी करने में कामयाब हो गई। वहीं मालदा, उत्तर दिनाजपुर और मुर्शिदाबादा में कांग्रेस और लेफ्ट ने कमबैक किया है। 2021 के विधानसभा चुनाव में इन सभी जिलों में तृणमूल कांग्रेस को एकतरफा जीत मिली थी। बंगाल में मुसलमानों की आबादी करीब 27 प्रतिशत है, जो लोकसभा की 7 सीटों का समीकरण तय करते हैं। आंकड़े जिस तरह के आये हैं पंचायत चुनाव में यही ट्रेंड अगर लोकसभा चुनाव के दौरान बंगाल में रहा तो तृणमूल कांग्रेस की परेशानी बढ़ सकती है।

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बता दें कि तृणमूल कांग्रेस ने इस बार 35 प्लस सीट जीतने का टारगेट रखा है। सीएम के भतीजे अभिषेक इसको लेकर राज्यभर में यात्रा कर रहे हैं। वहीं  तृणमूल के गढ़ दक्षिण 24 परगना में ही आईएसएफ की सेंधमारी ने उनके दौरा और रणनीति पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

बंगाल में मुसलमान कांग्रेस का कोर वोटर माना जाता रहा है। सीपीएम शासन के समय भी मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर दिनाजपुर में कांग्रेस मजबूत स्थिति में रहती थी. सीपीएम के बाद तृणमूल और कांग्रेस गठबंधन 2011 में सत्ता में आई। 2013 में ममता और कांग्रेस का रास्ता बंगाल में अलग हो गया। 2016 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटबैंक के जरिए कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी बन गई, जिसके बाद ममता ने दांव-पेंच की राजनीति शुरू कर दी। मुसलमानों को साधने के लिए ममता ने कई दांव चले, जो की कारगर रहा।

2019 और 2021 के चुनाव में मुसलमानों ने तृणमूल के पक्ष में जमकर मतदान किया। 2021 में मुर्शिदाबाद, उत्तर दिनाजपुर, बीरभूम और दक्षिण 24 परगना में तृणमूल ने बड़ी जीत दर्ज की TMC ने, बता दें कि पहले सागरदिघी उपचुनाव में तृणमूल कैंडिडेट बुरी तरह हारे और अब पंचायत चुनाव में अभिषेक के गढ़ में तृणमूल हारे। कई जगहों पर तृणमूल को नुकसान उठाना पड़ा है, जिससे इन अटकलों को और मजबूती मिली है।

अभिषेक बनर्जी का गढ़ दक्षिण 24 परगना को माना जाता है। बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस ने 31 में से 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी। एक सीट पर कांग्रेस और लेफ्ट के समर्थन से चुनाव लड़ रहे इंडियन सेक्युलर फ्रंट के नौशाद सिद्दीकी ने जीत हासिल की थी।

विधानसभा चुनाव के 2 साल बाद हुए पंचायत चुनाव में पूरी स्थिति बदल गई है। यहां ग्राम पंचायत के 6883 सीटों के लिए मतदान कराए गए थे, जिसमें तृणमूल को 3440 पर ही जीत मिली कांग्रेस-लेफ्ट को 260 और इंडियन सेक्युलर फ्रंट समेत अन्य को 300 सीटों पर जीत मिली। मुस्लिम बाहुल्य भांगड़ की 24 में से 23 सीटों पर इंडियन सेक्युलर फ्रंट ने जीत हासिल की। चुनाव के दौरान सबसे अधिक हिंसा भी दक्षिण 24 परगना में ही हुई। रिजल्ट के दिन यहां सेक्युलर फ्रंट के 3 कार्यकर्ता हिंसा में मारे गए।

उत्तर दिनाजपुर में कांग्रेस-लेफ्ट कमबैक

उत्तर दिनाजपुर में पंचायत चुनाव में भी तृणमूल को झटका लगा है। उत्तर दिनाजपुर में ग्राम पंचायत की करीब 2220 सीटों के लिए मतदान हुआ, जिसमें तृणमूल को सिर्फ 990 सीटों पर जीत मिली। बीजेपी यहां दूसरे नंबर की पार्टी रही और हिंदू इलाकों की 380 सीटें जीतने में कामयाब रही है। कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन ने यहां कमबैक किया है। दोनों के 290 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। 130 अन्य उम्मीदवार जीते हैं, जिसमें अधिकांश इंडियन सेक्युलर फ्रंट के है। यानी यहां भी मुस्लिम इलाकों में तृणमूल को नुकसान उठाना पड़ा है। इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ-साथ मुस्लिम वोटर्स कांग्रेस और लेफ्ट के पक्ष में जमकर मतदान किया है। जिला परिषद की 26 में से 3 सीटों पर भी कांग्रेस ने जीत हासिल की है।

हाल में TMC ने राज्यसभा के लिए 6 नामों की घोषणा की है, जिसमें एक मुसलमान को भी जगह दी गई है।

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