पद्मश्री हिरबाई लॉबी: खुद पढ़ न सकीं, लेकिन 700 लोगों को किया शिक्षित

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गुजरात के एक छोटे से गांव जम्बूर की रहनेवाली हिरबाई लोबी खुद भले ही पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने न सिर्फ सैकड़ों लोगों को शिक्षित किया है। बल्कि उन्हें रोज़गार और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं भी मुहैया करा रही हैं।
आज हिरबाई सौराष्ट्र के 18 गांवों में काम कर रही हैं। उन्होंने लोगों तक रोज़गार, स्वास्थ्य और पोषण पहुंचाने और जागरूकता फैलाने के लिए काफी काम किए।
हिरबाई ने 700 से ज्यादा महिलाओं और बच्चों को न सिर्फ शिक्षित किया, बल्कि रोज़गार से भी जोड़ा। उन्हें उनके इन कामों के लिए देश-विदेश से कई सम्मान मिल चुके हैं और अब उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

सादगी हम सबके लिए प्रेरणा

व्यक्तित्व में सादगी और आंखों में आंसू लिए हिरबाई जब पुरस्कार लेने आगे बढ़ीं, तो उनके शब्दों और ज़िंदादिली ने सबके दिल जीत लिए। उन्होंने पुरस्कार लेते समय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कंधों पर हाथ रखा और उनके इस अंदाज़ को देख खुद राष्ट्रपति भी अपनी मुस्कुराहट को रोक न सकीं। हिरबाई लॉबी और उनकी सादगी हम सबके लिए प्रेरणा है।

हिरवाई आदिवासी महिला संघ की अध्यक्षा है। इस समूह को सिद्दी महिला संघ भी कहा जाता है। हिरवाई, सिटी समाज और महिला सशक्तीकरण के लिए किए गए अपने कार्यों के लिए जानी जाती है। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और उनके उत्थान के लिए काफी काम किया है। साल 2004 में उन्होंने महिला विकास संघ की स्थापना की।

गांव की नेता के तौर पर पहचानी जाती

कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा लेकिन अपने कामों की बदोलत वह गांव की नेता के तौर पर पहचानी जाती है। आज हिटवाई मोटराष्ट्र के 18 गांवों में काम कर रही है। उन्होंने लोगों तक रोजगार, स्वास्थ्य और पोषण पहुंचाने और जागठकता फैलाने के लिए काफी काम किए

हिरवाई ने 700 से ज्यादा महिलाओं और बच्चों को न सिर्फ शिक्षित किया, बल्कि रोज़गार से भी जोड़ा। उन्हें उनके इन कामों के लिए देश- विदेश से कई सम्मान मिल चुके हैं और अब उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। व्यक्तित्व में सादगी और आंखों में आंसू लिए हिटवाई जब पुरस्कार लेने आगे बड़ी, तो उनके शब्दों और जिंदादिली ने सबके दिल जीत लिए ।

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