
आजादी की लड़ाई में काफी सक्रिय रहे एनडी तिवारी का राजनीतिक जीवन में बढ़ा उतार-चढ़ाव रहा। ये देश के इकलौते ऐसे राजनेता थे जिन्हें दो-दो राज्य का मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ। पहले एनडी तिवारी तीन बार 1976-77, 1984-85, 1988-89 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वहीं 2002 से 2007 तक तिवारी उत्तराखंड के सीएम रहे।
नारायण दत्त तिवारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हैं। इनका भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में बड़ा योगदान रहा हैं। तिवारी ने 1963 में पहली बार कांग्रेस ज्वॉइन की। उन्हें गांधी परिवार का करीबी माना जाता था। कहा जाता है कि पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी की मदद से ही वह वीर बहादुर सिंह को पद से हटाकर यूपी के सीएम बने थे।
यूपी से राजनीतिक छवि बनाने के बाद दिल्ली पहुंचे
यूपी में अपनी राजनीतिक छवि बनाने के बाद एनडी तिवारी धीरे-धीरे दिल्ली तक पहुंच गए। 1979 से 1980 के बीच चौधरी चरण सिंह की सरकार में वित्त और संसदीय कार्य मंत्री रहे। 1986 से 1987 के बीच एनडी तिवारी प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कैबिनेट में विदेश-मंत्री रहे। इसलिए इनकी गिनती ताकतवर और दिग्गज नेताओं में भी होती रही है। इसके बाद 2007 से 2009 के बीच वो आंध्र प्रदेश के गवर्नर रहे। लेकिन एक कथित सेक्स स्कैंडल में फंसने की वजह से उनको इस्तीफा देना पड़ा।
माना जाता है कि अगर तिवारी 1991 का लोकसभा चुनाव जीत जाते, तो प्रधानमंत्री बन सकते थे। लेकिन पार्टी में दांवपेंच के चलते नारायण दत्त अछूते नहीं थे। उनकी प्रधानमंत्री पद की मजबूत दावेदारी को नरसिम्हा राव ने मात दे दी। नरसिम्हा राव ने जगन्नाथ मिश्र और एनडी तिवारी की राजनीति को बहुत नुकसान पहुंचाया. लेकिन इस तरह से कांग्रेस पार्टी खुद डैमेज हुई. कांग्रेस पार्टी को खत्म करने में राव ने तिवारी को खत्म करके एक अहम भूमिका निभाई।