कोरोना के बाद क्या-क्या बदला भारत में, कितने बदल गए हैं हमारे रिश्ते

corona virus
कोरोना महामारी ने हमारे जीवन में कई बदलाव कर दिया है। 2019 में जब भारत में सीएए के विरोध में प्रदर्शन हो रहे थे तब चीन में एक खतरनाक वायरस तेजी से लोगों को शिकार बना रहा था। किसी को नहीं पता था कि आने वाला समय उन्हें अपनों से हमेशा के लिए दूर कर देगा।
कोरोना महामारी ने लोगों की जिंदगी में कई बदलाव किए। लोगों के आपसी रिश्तों पर इसका खास असर हुआ। परिवार में यदि किसी को संक्रमण हुआ तो घर के दूसरे सदस्य उनसे दूरी बनाने लगे। लोग एक-दूसरे को टच करने से भी डरने लगे। हालांकि रिसर्च कहती है कि एक इंसान को दूसरे इंसान के स्पर्श की बहुत जरूरत होती है। वैसे ही जैसे हमें भोजन और पानी की जरूरत होती है।
कोरोना महामारी के बाद लोगों में आत्महत्या करने की प्रवृति में बढ़ोतरी हुई है। देश में लॉकडाउन के दौरान आत्महत्या करने की प्रवृति में 67.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
द कन्वर्सेशन वेबसाइट द्वारा किए गए रिसर्च में बताया गया कि इस दौरान लोगों को दोस्तों और परिजनों की कमी महसूस हुई लेकिन इसके साथ ही वे अकेले रहने और कम दोस्त रखने की आदत के भी शिकार हो गए।
साफ-सफाई की आदतों में बदलाव हुआ
कोरोना महामारी के बाद लोगों के अंदर साफ-सफाई को लेकर बड़ा बदलाव देखने को मिला। CSIR की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में महामारी के बाद लोग साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देने लगे। रिपोर्ट के मुताबिक, 86 फीसदी लोगों ने साफ-सफाई की आदतों को अपनाया।
टेक्नोलॉजी का प्रयोग बढ़ा
कोरोना महामारी में लॉकडाउन के दौरान लोगों ने अपना समय टेक्नोलॉजी और गैजेट्स के सहारे काटा। इस दौरान वर्क फ्रॉम होम का चलन भी खूब बढ़ा। ऑनलाइन क्लासेस अब आम बात हो गई है। इसके अलावा सोशल मीडिया, ऑनलाइन शॉपिंग और ऑनलाइन पेमेंट का उपयोग खूब बढ़ा।
पलायन में कमी लेकिन बेरोजगारी बढ़ी
महामारी के बाद देश में पलायन करने वालों की संख्या में भले ही कमी आई हो लेकिन इसके साथ ही बेरोजगारी में बढ़ोतरी हुई है। लोग लॉकडाउन में पैदल ही सैकड़ों मील तक चलने को मजबूर हुए। इससे बड़े शहरों में कामगारों की संख्या में कमी हुई। अभी भी शहर के फैक्टरियों में कामगार मजदूरों की बहुत कमी है।
महामारी में भारत की जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान कृषि को छोड़कर बाकी सभी सेक्टर तबाह हो गए। वर्क फ्रॉम होम कल्चर में बढ़ोतरी हुई है। इससे कंपनियों के ऊपर आर्थिक बोझ भी कम हुआ है। लिंक्डइन रिपोर्ट में 86 फीसदी लोगों ने माना कि वह वर्क फ्रॉम होम कल्चर से काफी खुश हैं।