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अंतरिक्ष में भारत की छाप छोड़ने वाली Kalpana Chawla की कहानी, ऐसे हुई थी दुर्घटना

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संपूर्ण विश्व में भारत को गौरवान्वित करने वाली भारतीय मूल की पहली अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की आज 61वीं जयंती है। कल्पना का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम बनारसी लाल चावला और माता का नाम संज्योति चावला है। कल्पना ने अपनी शुरूआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन से की थी। कल्पना ने 8वीं कक्षा में ही एस्ट्रोनॉट बनने की ठान ली थी। पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से बैचलर डिग्री हासिल की। 2003 में अंतरिक्ष मिशन के बाद धरती की ओर लौटते समय कोलंबिया शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने की वजह से कल्पना और उनके छह साथियों की मौत हो गई थी।

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सीएम ने दी श्रद्धांजलि

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने आज कल्पना चावला को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ट्वीट किया-पूरी दुनिया में हरियाणा का गौरव बढ़ाने वाली, भारतीय मूल की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री, महिला शक्ति की पर्याय कल्पना चावला जी को मैं उनकी जयंती पर सादर नमन करता हूं। अंतरिक्ष विज्ञान में उनका योगदान देश-प्रदेश की बेटियों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा।

अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला

उन्होंने अंतरिक्ष की प्रथम उड़ान एस टी एस 87 कोलंबिया शटल से संपन्न की थी। इसकी अवधि 19 नवंबर 1997 से 5 दिसंबर 1997 थी। अंतरिक्ष की पहली यात्रा के दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में 372 घंटे बिताए और पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं पूरी की थी। इस सफल मिशन के बाद कल्पना की दूसरी और आखिरी उड़ान 16 जनरी 2003 को स्पेस शटल कोलंबिया से शुरू हुई थी। 1 फरवरी 2003 को वापस लौटते समय उनका स्पेस यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दुर्घटना में उनके साथ सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी।

इस तरह हुई थी दुर्घटना

अक्सर कल्पना कहा करती थीं मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनीं हूं, हर पल अंतरिक्ष के लिए बिताया और इसी के लिए मरूंगी। यह बात उनके लिए सच भी साबित हुई। जब उनका विमान कामयाबी के आगाज के साथ धरती पर लौट रहा था। तभी अचानक सफलता का यह जश्न पलभर में ही मातम में बदल गया और हर मुस्कुराते चेहरे पर उदासी छा गई। सभी बेसब्री से कल्पना चावला के लौटने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन खबर कुछ और ही आई। वैज्ञानिकों के मुताबिक- जैसे ही कोलंबिया ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया, वैसे ही उसकी उष्मारोधी परतें फट गईं और यान का तापमान बढ़ने से यह हादसा हुआ।

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