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जम्मू-कश्मीर को लेकर नेहरू की भूमिका पर शाह ने लोकसभा में की गलत बयानबाजी : कांग्रेस

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New Delhi : कांग्रेस पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर जान-बूझकर उत्तेजक और पूरी तरह से गलत बयान देने का आरोप लगाया। लोकसभा ने 1947-1948 में जम्मू-कश्मीर में देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू की भूमिका पर चर्चा की और आरोप लगाया कि ये पार्टी और इंडिया ब्लॉक की कहानियों को पटरी से उतारने की रणनीति है। कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि अमित शाह के कार्यालय को उन्हें चंद्रशेखर दासगुप्ता की वॉर-एंड-डिप्लोमेसी इन कश्मीर पढ़नी चाहिए, जिसमें ऐसे कई मिथकों का खुलासा किया गया है।

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अमित शाह पर लगाया आरोप

जयराम रमेश ने कहा कि आज लोकसभा में, गृह मंत्री अमित शाह ने 1947 और 1948 में जम्मू-कश्मीर में नेहरू की भूमिका पर जान-बूझकर उत्तेजक और स्पष्ट रूप से गलत बयान दिया। डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने तुरंत छद्म इतिहासकार के रूप में इस विकृत व्यक्ति को बुलाया।

‘वॉर-एंड-डिप्लोमेसी इन कश्मीर’ पढ़ने की दी नसीहत

ये कांग्रेस और भारत की कहानियों को पटरी से उतारने की रणनीति हैं और मैं अमित शाह के जाल में नहीं फसूंगा। उनके कार्यालय को उन्हें चन्द्रशेखर दासगुप्ता की उत्कृष्ट पुस्तक ‘वॉर एंड डिप्लोमेसी इन कश्मीर’ पढ़नी चाहिए जिसमें ऐसे कई मिथकों का पर्दाफाश किया गया है।

अमित शाह ने क्या कहा था?

अमित शाह ने को जम्मू-कश्मीर के लोगों की पीड़ा के लिए नेहरू की ‘दो बड़ी भूलों’ – पूरे कश्मीर को जीते बिना युद्धविराम की घोषणा करना और मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना को जिम्मेदार ठहराया।

पीओके भारत का हिस्सा होता

लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि अगर नेहरू ने सही कदम उठाए होते, तो क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा नहीं सौंपा जाता और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा होता।

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