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Ram Mandir : आंदोलन सिर्फ मंदिर के लिए नहीं, बल्कि न्याय और संस्कृति को वापस पाने के लिए था : गडकरी

Ram Mandir : आंदोलन सिर्फ मंदिर के लिए नहीं, बल्कि न्याय और संस्कृति को वापस पाने के लिए था : गडकरी
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Ram Mandir : अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा होने वाला है। भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए सभी देशवासियों में उत्साह है। इस बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि अयोध्या आंदोलन सिर्फ एक मंदिर के लिए नहीं था। यह न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक जागरुकता अभियान था। आंदोलन भारत के इतिहास, संस्कृति और विरासत को गौरव और सम्मान वापस दिलाने के लिए था। भगवान राम का जहां जन्म हुआ था, वहां राम मंदिर की मौजूदगी देश में रहने वाले सभी लोगों के लिए गौरव और स्वाभिमान का प्रतीक है। यह मुद्दा सांप्रदायिक या जाति-संबंधी नहीं था। यह राष्ट्रीय जन भावना के लिए था। सनातन हमारे देश का इतिहास है।

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गडकरी ने क्या कहा?

केंद्रीय मंत्री गडकरी नागपुर में आयोजित एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित किया। अपने संबोधन में गडकरी ने कहा कि बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के कारण ही अयोध्या के राम मंदिर का मुद्दा देश का सबसे बड़ा मुद्दा बन सका। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अशोक सिंघल, भाजपा नेता उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा और कई साधु-संतों और तमाम शंकराचार्यों ने इसके लिए संघर्ष किया है। उन्होंने कहा कि देश के लोग अब बहुत खुश हैं। भगवान राम के जन्मस्थान पर भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण हो रहा है। 22 जनवरी से देशवासियों को अपने ईश्वर के दर्शन का समय मिलेगा। 

धर्मनिर्पेक्ष शब्द की गलत व्याख्या की गई

गडकरी ने आगे कहा कि अतीत में राजनीतिक लाभ के लिए लोगों ने धर्मनिर्पेक्ष शब्द की गलत व्याख्या कर दी। धर्मनिर्पेक्ष शब्द का अर्थ सर्व धर्म संभाव होता है यानि, हर धर्म के लिए सम्मान। अयोध्या आंदोलन तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ था।

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