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विधायिका अदालत के फैसले को खारिज नहीं कर सकती : सीजेआई चंद्रचूड़

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New Delhi: मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीश इस बात पर ध्यान नहीं देते कि जब वे मुकदमों का फैसला देंगे तो समाज क्या कहेगा? सीजेआई ने कहा कि सरकार की निर्वाचित शाखा तथा न्यायपालिका में यही अंतर है। उन्होंने कहा कि विधायिका किसी भी कोर्ट के निर्णय को सीधे खारिज नहीं कर सकती।

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विधायिका कर सकती है नया कानून लागू

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि इसकी एक सीमा है कि कोर्ट का निर्णय आने पर विधायिका क्या कर सकती है? और क्या नहीं कर सकती? अगर किसी विशेष मुद्दे पर निर्णय दिया जाता है और इसमें कानूनी खामी का जिक्र होता है तो विधायिका उस खामी को दूर करने के लिए नया कानून लागू कर सकती है।

72 हजार मुकदमों का किया हल

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि विधायिका यह नहीं कह सकती कि हमें लगता है कि निर्णय गलत है और इसलिए हम इस निर्णय को खारिज करते हैं। विधायिका किसी भी कोर्ट के फैसले को सीधे खारिज नहीं कर सकती है। चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि न्यायाधीश मुकदमों का निर्णय करते वक्त संवैधानिक नैतिकता को ध्यान में रखते हैं। न कि सामाजिक नैतिकता को। इस वर्ष कम-से-कम 72 हजार मुकदमों का हल किया गया है और अभी डेढ़ माह बाकी है।

समान मौके उपलब्ध हों तो महिलाएं न्यायपालिका में आएंगी

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका में प्रवेश स्तर पर संरचनात्मक बाधाएं हैं। उन्होंने कहा कि यदि समान मौके उपलब्ध होंगे तो ज्यादा महिलाएं न्यायपालिका में आएंगी। मुख्य न्यायाधीश ने भारतीय क्रिकेट टीम को विश्व कप के लिए शुभकामनाएं भी दीं।

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