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वंचित वर्ग की न्याय आवश्यकताओं को बढ़ाना जरूरी : सीजेआई चंद्रचूड़

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New Delhi : सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय तक पहुंच सिर्फ फैसलों में जन-हितैषी न्याय-शास्त्र तैयार करके हासिल नहीं की जा सकती। बल्कि, इसके लिए कोर्ट के प्रशासनिक छोर से बुनियादी ढांचे में सुधार और कानूनी मदद सेवाओं को बढ़ाने में सक्रिय प्रगति की जरुरत है।

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सीजेआई चंद्रचूड़ ने क्या कहा?

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों के लिए मौजूदा केस के तथ्यों के अनुसार न्याय करना चुनौती नहीं है। बल्कि, प्रक्रिया को संस्थागत बनाना और वर्तमान से आगे देखना है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की कम प्रतिनिधित्व वाली जनसंख्या (वंचित वर्ग) की न्याय आवश्यकताओं को बढ़ाना जरूरी है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह बात राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा ग्लोबल साउथ में कानूनी मदद तक पहुंच आसान बनाने पर आयोजित पहले क्षेत्रीय सम्मेलन के शुभारंभ के मौके पर दिए संबोधन में कही।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने क्या कहा?

उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इसी अवसर पर अपने संबोधन में औपनिवेशिक कानूनों की विरासत को ग्लोबल साउथ के देशों के कमजोर वर्गों के लिए बहुत बोझिल बताया। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इन कानूनों को स्थानीय आबादी के लिए बहुत ही दमनकारी और शोषणकारी बताते हुए जोर देकर कहा कि अब वक्त आ गया है, जब ग्लोबल साउथ के देशों को भारत के उदाहरण का अनुसरण करना चाहिए।

कानून मंत्री मेघवाल ने क्या कहा?

सम्मेलन के शुभारंभ सत्र में शामिल कानून मंत्री अजुर्न राम मेघवाल ने न्यायिक प्रणाली के अंदर समस्याओं का समाधान करने के लिए अधिक टिकाऊ ढांचा बनाने पर जोर दिया। अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने वकीलों द्वारा कानूनी मदद को सौतेले बच्चे की तरह लिए जाने की निंदा की और कहा कि हमें देखना होगा कि हम कानूनी मदद के कार्य को गरिमा कैसे प्रदान करते हैं?

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