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चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज से शुरू

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नई दिल्ली: शीर्ष न्यायालय के पांच जजों की संविधान पीठ ने राजनीतिक दलों को चंदे देने के लिए लाई गई चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज से सुनवाई शुरू की है। केंद्र सरकार यह योजना दो जनवरी 2018 को लेकर आई थी। चुनावी बॉन्ड योजना को राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के हिस्से के रूप में राजनीतिक दलों को कैश डोनेशन के एक विकल्प के रूप में लाया गया था। इस योजना के प्रावधानों के अनुसार चुनावी बॉन्ड देश का कोई भी नागरिक या स्थापित संस्था खरीद सकती है। कोई व्यक्ति अकेले या अन्य लोगों के साथ भी संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है।

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चंदे के स्त्रोत के बारे में जानने का अधिकार नागरिकों को नहीं

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच चार याचिकाओं पर सुनवाई करने को तैयार है। इन याचिकाओं में कांग्रेस नेता जया ठाकुर और CPM की याचिकाएं शामिल हैं। बेंच के दूसरे सदस्य जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा हैं।

अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने अदालत में दाखिल की गई एक दलील में कहा है कि राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड योजना के तहत मिलने वाले चंदे के स्रोत के बारे में नागरिकों को सूचना पाने का अधिकार नहीं है। आर. वेंकटरमणी ने चुनावी बॉन्ड योजना से राजनीतिक दलों को क्लीन मनी मिलने का जिक्र करते हुए यह कहा है।

अंशदान करने वाले को मिलती है गोपनीयता का लाभ

आर. वेंकटरमणी ने कहा कि तार्किक प्रतिबंध की स्थिति नहीं होने पर किसी भी चीज और प्रत्येक चीज के बारे में जानने का अधिकार नहीं हो सकता। अटार्नी जनरल ने शीर्ष न्यायालय से कहा कि जिस चुनावी बॉन्ड योजना की बात की जा रही है वह अंशदान करने वाले को गोपनीयता का लाभ देती है। यह इस बात को सुनिश्चित और प्रोत्साहित करती है कि जो भी अंशदान हो वह काला धन नहीं हो। यह कर दायित्वों का अनुपालन सुनिश्चित करती है।

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