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GoodGovernanceDay: सुशासन दिवस पर अमित शाह बोले- मोदी सरकार ने 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को दिए घर

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नई दिल्ली: दिल्ली में सुशासन दिवस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज हम सुशासन सप्ताह मनाने के लिए 25 दिसंबर के दिन एकत्र हुए हैं। आज के दिन के साथ 2 ऐसी विभूतियों की स्मृति जुड़ी है जिन्होंने देश के विकास और देश की आजादी के लिए और देश को एक नई दिशा दिखाने के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया।

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नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को घर दिए: सुशासन दिवस पर गृह मंत्री अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि सुशासन दिवस कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने आजादी से पहले इस देश की गौरवमयी विरासत को दुनिया के सामने रखने का काम किया। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की, भारतीय परंपरा के आधार पर नई और आधुनिक शिक्षा पद्धति कैसी हो सकती है, इसका एक आदर्श खड़ा करने का काम किया। आधुनिक भारत में सुशासन शब्द जिन्होंने सही अर्थ में जमीन पर उतारने का काम किया ऐसे हमारे अटल जी का भी जन्मदिन है और अटल जी ने एक विचारधारा को लेकर अपना पूरा जीवन समर्पित किया।

गृह मंत्री ने कहा कि सुशासन सप्ताह मनाने का जो निर्णय देश के प्रधानमंत्री जी ने किया और आजादी के अमृत महोत्सव में किया, इससे सुशासन का कॉन्सेप्ट दिल्ली से निकल कर, राज्यों की राजधानी से निकल कर गांवों तक पहुंचाने का काम हुआ है। लोगों की सुशासन से अपेक्षा है कि जो विकास का मॉडल हो वो सर्वस्पर्शी हो, सर्वसमावेशक हो। देश का कोई क्षेत्र ऐसा न हो जिसमें विकास का स्पर्श न होता हो और समाज का कोई व्यक्ति ऐसा न हो, जिसका विकास के मॉडल में समावेश न होता हो।

पहले विकास की एक अलग व्याख्या थी, ढेर सारे द्वंद चलते थे।

नरेन्द्र मोदी सरकार ने इन सारे द्वंदों को समाप्त कर दिया।

शाह बोले एक ही सरकार के 7 साल के कालखंड में कृषि का भी विकास हुआ है, औद्योगिक विकास भी हुआ है, गांवों में भी विकास हुआ है और शहरों में भी विकास हो रहा है, देश की सीमाएं भी सुरक्षित हुई हैं और पूरे विश्व के साथ हमने संबंध भी अच्छे किये हैं। 2014 से पहले इस देश मे 60 करोड़ लोग ऐसे थे, जिनके परिवार में एक भी बैंक एकाउंट नहीं था, उसके घर में बिजली नहीं थी, किसी के पास घर ही नहीं था। 10 करोड़ से ज्यादा परिवार ऐसे थे जिनके पास शौचालय ही नहीं था।

हर घर में बिजली और शौचालय पहुंचाने का काम हो चुका है समाप्त: @AmitShah

उन्होनें कहा कि स्वास्थ्य के नाम पर बहुत बड़ा शून्य था, घर में बीमारी आने पर गरीब आदमी केवल ईश्वर को ही याद करता था। कैंसर, दिल का दौरा और लकवा जैसी बीमारी आने पर वो अपने आप को असहाय महसुस करता था, आजादी के कोई मायने नहीं रह जाते थे।

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