मायावती ने अखिलेश यादव की जातिगत जनगणना की मांग का किया समर्थन, सरकार से जल्द कदम उठाने की अपील

मायावती ने अखिलेश यादव की जातिगत जनगणना की मांग का किया समर्थन
Mayawati : बसपा सुप्रीमो मयावती ने अखिलेश यादव की जातिगत जनगणना की मांग का समर्थन किया और सरकार से जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाने की अपील की।
बसपा प्रमुख मायावती सपा के साथ सुर मिलाते दिखाई दे रही हैं। बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती के मौके पर मायावती ने पार्टी समर्थकों और कार्यकर्ताओं को बड़ा संदेश देते हुए अखिलेश यादव की मांग का समर्थन किया है। जिसके बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में नया मोड़ आते दिख रहा है। मायावती के इस कदम से आने वाले समय में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है।
बहुजनों की सच्ची श्रद्धांजलि होगी
मायावती ने कांशीराम की जयंती पर कार्यकर्ताओं को संदेश देते हुए अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर बसपा को बहुजनों की सबसे हितैषी पार्टी बताया और कहा कि बसपा सरकार के समय ही इस समाज के लोगों का कल्याण हुआ। मायावती ने पार्टी संस्थापक कांशीराम की बात को दोहराते हुए कहा कि बहुजनों को अपने वोट की ताकत को समझना होगा और अपने उद्धार के लिए स्वयं के हाथों सत्ता की चाबी लेनी होगी। यही कांशीराम के लिए बहुजनों की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
जातिगत जनगणना की मांग का भी समर्थन किया
मयावती ने इस दौरान अखिलेश यादव की जातिगत जनगणना की मांग का भी समर्थन किया और कहा कि बहुजन समाज की आबादी इस समय 80 फीसद से अधिक है। संवैधानिक और कानूनी तौर पर उनके हक के लिए जनगणना से जनकल्याण की गारंटी बाबा साहेब ने राष्ट्रीय जनगणना से प्रावधान किया है। जनगणना नहीं कराने पर संसदीय समिति ने भी चिंता जताई है।
विकास को नई दिशा देने के लिए
मायावती ने देश और समाज के विकास को नई दिशा देने के लिए जातीय जनगणना को भी अहम बताया हैं। मायावती ने कहा कि इसके प्रति अपेक्षित गंभीरता निभाने के लिए सरकार को जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाने चाहिए। बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस दौरान देश में तेजी से पनप रहे धर्म क्षेत्र जाति और संप्रदाय विवाद पर भी चिंता जताई और कहा कि इस तरह के घातक विवाद की असली जड़ में हर स्तर पर हावी हो रही संकीर्ण जातिवादी और सांप्रदायिक द्वेष की राजनीति है। जबकि महंगाई गरीबी बेरोजगारी शिक्षा और पिछड़ापन जैसे समस्याओं को पूरी तरह भुला दिया गया है।
बता दें कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव लगातार जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाते रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को जमकर उठाया जिसका लाभ भी देखने को मिला और सपा ने बड़ी जीत हासिल की।
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