मध्यप्रदेश: बुरहानपुर सीट से AIMIM ने उतारा अपना उम्मीदवार

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) की एंट्री हो गई है। दरअसल, इस विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम की एंट्री दक्षिण का द्वार कहे जाने वाले अल्पसंख्यक बाहुल्य बुरहानपुर सीट से हुई है।

बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने इस सीट से अल्पसंख्यक नेता को टिकट नहीं दिया है। ओवैसी की पार्टी इस बात से नाराज थी और पूर्व नेता प्रतिपक्ष नफीस मंशा को बुरहानपुर सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। इस सीट पर कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह शेरा का जबरदस्त विरोध हो रहा है।

बुरहानपुर से कांग्रेस और बीजेपी ने किसे उतारा

ये भी बता दें कि बुरहानपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस ने सुरेंद्र सिंह शेरा को मैदान में उतारा है। शेरा का विरोध ना सिर्फ अल्पसंख्यक समाज के लोग कर रहे हैं बल्कि खुद कांग्रेस के अल्पसंख्यक नेता विरोध कर रहे हैं। आलम ये है कि इससे नाराज 23 अल्पसंख्यक कांग्रेसी पार्षदों ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा तक दे दिया। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी ने बुरहानपुर सीट से पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस को अपना उम्मीदवार बनाया है।

बुरहानपुर है मुस्लिम बाहुल्य सीट

प्रदेश के बुरहानपुर विधानसभा सीट से एआईएमआईएम उम्मीदवार नफीस मंशा को टिकट मिलने पर इस सीट पर मुकाबला बड़ा ही रोचक हो गया। गौरतलब है कि बुरहानपुर मुस्लिम बाहुल्य सीट है और यहां से कांग्रेस द्वारा उतारे गए प्रत्याशी का भी खूब विरोध हो रहा है।

कैंडिडेट के ऐलान के बाद से ही बुरहानपुर से अल्पसंख्यक नेता को टिकट देने की मांग जोरों पर थी, लिहाजा AIMIM ने भी मौका देखकर दांव लगा दिया और नफीस मंशा को अपना मुस्लिम कैंडिडेट बनाकर चुनावी रण में उतार दिया। AIMIM के इस दांव से कांग्रेस और भाजपा दोनों की मुश्किलें बढ़त सकती हैं।
निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं समीकरण

बुरहानपुर विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों की अहम भूमिका होती है। कई बार बुरहानपुर में निर्दलीय उम्मीदवार विधायक बने हैं। यहां कांग्रेस के और बीजेपी के नेता निर्दलीय तो किसी और पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में यहां से वोट कटने के साथ ही जीत का गणित भी बिगड़ सकता है।

रिपोर्ट- आदित्य