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 Health News: हिचकी-पलक झपकना है इस भयंकर बीमारी का लक्षण, ना इलाज है, ना कोई टेस्ट

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 Health News: रानी मुखर्जी की मूवी हिचकी तो आप सबने देखी ही होगी, जिसमें उन्होंने जोरदार अभिनय से सभी को हिला दिया था। फिल्म हिचकी एक ऐसी महिला की स्टोरी पर बेस्ड थी, जिसका अपने शरीर पर कंट्रोल नहीं था। यह बीमारी नर्वस सिस्टम से जुड़ा एक डिसऑर्डर था, जिसमें उन्हें बार-बार हिचकी आने और कुछ मूवमेंट करने की बीमारी थी। यह बीमारी इसलिए भी खतरनाक है, क्योंकि ना इसे पकड़ने का कोई टेस्ट है और ना ही पुख्ता इलाज।

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इस सिंड्रोम में अचानक लगते है झटके

इस न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर को टूरेट सिंड्रोम (टॉरेट सिंड्रोम) कहा जाता है। जो कि नर्वस सिस्टम से जुड़ी दुर्लभ बीमारी है। टूरेट सिंड्रोम (Tourette Syndrome) को आसान भाषा में समझने के लिए रानी मुखर्जी ‘हिचकी’ के ट्रेलर में बताती हैं कि जब हमारे दिमाग में बहुत सारे तार जुड़ नहीं पाते हैं, तो बार-बार शॉक लगता है। जिसके कारण अजीब आवाजें निकल सकती हैं या फिर मूवमेंट हो सकती है।

सीडीसी के मुताबिक, इस सिंड्रोम में अचानक झटके, गतिविधि या आवाज निकलने लगती है। इन्हीं चीजों को टिक्स कहा जाता है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज हरकतों को कंट्रोल नहीं कर पाते और ना चाहकर भी बार-बार टिक्स आते रहते हैं। सीडीसी कहता है कि टिक्स के दो प्रकार मुख्य होते हैं, जिसमें एक होता है मोटर टिक्स, जो शरीर की मूवमेंट से जुड़ा हुआ है, जैसे- पलक झपकना, हाथ झटकना। दूसरा वोकल टिक्स होता है, जो आवाज से जुड़ा है, जैसे- लगातार हिचकी आना, गुनगुनाने की आवाज, किसी शब्द को चिल्लाना आदि।

दो कैटेगरी में होता है सिंड्रोम

वहीं, इसे दो कैटेगरी में भी बांटा गया है, जिन्हें सिंपल टिक्स और कॉम्प्लैक्स टिक्स कहा जाता है। जब टिक्स शरीर के किसी एक हिस्से से जुड़ा होता है, जो उसे सिंपल कहा जाता है और जब यह दो या ज्यादा हिस्सों से जुड़ा हो तो उसे कॉम्प्लैक्स कहा जाता है।

हिचकी आने पर धीरे-धीरे बर्फ का पानी पीना चाहिए। यह वेगस नर्व को उत्तेजित करता है और राहत प्रदान करता है। बर्फ का पानी पीने से कुछ ही समय में हिचकी बंद हो जाती है।

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