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जानें कौन हैं ऑनर्स डिग्री के साथ ग्रेजुएशन पूरा करने वाली पहली भारतीय महिला

एक कवयित्री और ब्रिटिश भारत की पहली महिला जिन्होंने ऑनर डिग्री के साथ ग्रेजुएशन की,जी हाँ हम बात कर रहें हैं कामिनी रॉय की, जिन्होंने अपना पूरा जीवन महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकार के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने अपने कार्यों से भारतीय इतिहास में एक अलग छाप छोड़ी।

कामिनी का जन्म 12 अक्टूबर 1864 में बंगाल के बसुन्दा के संपन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता एक प्रसिद्ध वेध और जज थे। कामिनी बचपन से ही आज़ाद ख्यालों की थी इसलिए उन्होंने अपनी शिक्षा को खास अहमियत दी। 1886 में उन्होंने कोलकाता के बेथून कॉलेज में संस्कृत ऑनर से ग्रेजुएशन किया, जिसके साथ ही वह ब्रिटिश भारत में ऑनर से ग्रेजुएशन करने वाली पहली महिला बन गई। इसके बाद उन्होंने बेथून कॉलेज में पढ़ाना भी शुरू किया जहाँ उनकी मुलाकात महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली अबला बोस से हुई। जिसका प्रभाव उनपर भी पड़ा और वह भी महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रयास करने लगीं।

इसके अलावा वह महिलाओं पर कविताएँ भी लिखती रहीं रहीं। उन्होंने अपनी कविताओं से महिलाओं के अधिकारों की आवाज़ उठाई।  साल 1889 में प्रकाशित उनका काव्य संग्रह ‘आलो ओ छाया’ बहुत चर्चा में रहा। साल 1921 में वह बंगी नारी समाज की कुमुदिनी मित्रा और मृणालिनी सेन से मिली जिसके बाद  उन्होंने महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने बंगाली महिलाओं को बंगाली लेजिस्लेटिव काउंसिल में पहली बार 1926 में वोट दिलाने की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था।

उस समय के बहुत से लेखक कामिनी से प्रभावित थे तथा उनकी तरह ही लिखना  चाहते थे। साल 1930 में उन्हें बंगाली लिटरेरी कांफ्रेंस की अध्यक्ष बनाया गया और 1932-33 में बंगिया साहित्य परिषद की उपाध्यक्ष। महिला के अधिकारों की लड़ाई और उन्हें उनका हक दिलाने वाली कामिनी राय की मृत्यु 19 सितम्बर 1933 में हुई लेकिन उनके कार्यों और कविताओं के लिए आज भी इतिहास में उनको याद किया जाता है।

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