
Kharana : छठ महापर्व के दूसरा दिन खरना होता है, जो इस व्रत का एक महत्वपूर्ण और पवित्र दिन माना जाता है। खरना के दिन, व्रती (व्रत रखने वाले) शाम को विशेष पूजा करते हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा करके संतान सुख, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति करना होता है।
खरना कैसे मनाया जाता है?
खरना के दिन व्रती महिलाएं, सूर्योदय से पहले व्रत का संकल्प करती हैं। दिनभर उपवासी रहने के बाद, संतान सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए, वे शाम को पूजा स्थल पर एकत्रित होती हैं और वहां दीप जलाती हैं। इसके बाद व्रती छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा करते हैं। पूजा में खास तौर पर खीर, ठेकुआ, गेहूं का पेठा, घी वाली रोटी आदि प्रसाद तैयार किए जाते हैं। इन प्रसादों को पूरी श्रद्धा और शुद्धता से बनाया जाता है, ताकि पूजा में कोई कमी न हो।
पारंपरिक रूप से, प्रसाद का भोग भगवान को अर्पित करने के बाद, व्रती और उनके परिवारजन इसे मिलकर ग्रहण करते हैं। इस दिन के बाद, व्रती अगले दिन तक निर्जला व्रत रखते हैं, जो 36 घंटे तक चलता है। इस दौरान, अन्न और जल का त्याग किया जाता है।
खरना का महत्व
खरना के दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्व है। यह दिन भक्ति, समर्पण, और आस्था का प्रतीक है। छठ पूजा का यह हिस्सा शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए होता है। प्रसाद तैयार करने और अर्पित करने की प्रक्रिया में व्रति अपनी पूरी श्रद्धा और समर्पण से इस पर्व को मनाते हैं। खरना का यह दिन छठी मैया की पूजा के साथ-साथ जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति का संकेत भी होता है।इस बार, 6 नवंबर 2024 को खरना मनाया जाएगा, जो कार्तिक माह की पंचमी तिथि को पड़ता है।
खरना न केवल छठ महापर्व का एक प्रमुख दिन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आस्था का एक अमूल्य हिस्सा भी है, जिसमें उपवास, पूजा, और समर्पण के माध्यम से परिवार और समाज की भलाई की कामना की जाती है।
डिस्क्लेमर : यह लोक मान्यताओं पर आधारित सामान्य जानकारी है. हिन्दी ख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता.
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