निर्जला, फिर भी चेहरे की चमक बरकरार…उसे खास चांद का इंतजार
Karwa Chauth: वो सुबह से अन्न-जल त्याग कर बैठी है। उसे इंतजार है आज के चांद(Moon) का। आज का चांद खास है। ये चांद उसके सुहाग की ‘चमक’(आयु) बढ़ाएगा। ये पारंपारिक मान्यता के साथ उसका अपने सुहाग के प्रति प्रेम भी है। वो हर रोज की तरह या यूं कहें रोज से ज्यादा काम करेगी लेकिन सिकन उसके चेहरे को छू भी न पाएगी। चेहरा दमकेगा और बिना थके प्यार भरे हाथों से परिवार के लिए ढेरों पकवान बनाएगी।
Karwa Chauth: पटना में शाम 7:51 मिनट पर होगा चंद्रोदय
बुधवार कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को देश भर में सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए करवाचौथ का व्रत रखेंगी। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सुहागिनों को अपने सुहाग की लंबी आयु का वरदान मिलता है। बिहार में भी आज यह त्यौहार उत्साह पूर्वक मनाया जाएगा। राजधानी पटना में बुधवार को शाम सात बजकर 51 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
Karwa Chauth: हाथों पर रचाई मेहंदी, बाजारों में रही रौनक
करवा चौथ से पूर्व संध्या सुहागिनों में मेहंदी लगवाने का काफी क्रेज नजर आया। बाजारों में काफी भीड़ नजर आई। राजधानी पटना सहित औरंगाबाद, लखीसराय, नालंदा, खगडिया, समस्तीपुर आदि जिलों के बाजारों में भी रौनक रही। महिलाओं ने सुहाग और पूजन सामग्री की खरीदारी की। इस अवसर के लिए पति भी अपनी पत्नियों के लिए उपहार लेते नजर आए। मुख्य बाजारों में शाम के समय जाम सी स्थिति रही।
Karwa Chauth: पति के हाथ से जल पीकर करेंगी व्रत का पारण
इस दिन शुभ योग में महिलाएं देवों में प्रथम पूज्य गणेश एवं शिव-पार्वती सहित शिव परिवार की पूजा कर चंद्रमा का पूजन करेंगी। इसके बाद चंद्र को अर्घ्य देकर छलनी से पति को देखेंगी। पति के हाथ से जल पीकर व्रत का पारण करेंगीं। व्रत सूर्योदय से आरंभ होकर चंद्रोदय तक रहता है लेकिन अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार व्रत के समय में परिवर्तन भी हो सकता है। ज्योतिष आचार्य पंडित संजीव ने बताया कि पंचांग के अनुसार व्रत के दिन मृगशिरा नक्षत्र, परिघ, सर्वार्थ सिद्धि, शिव योग का उत्तमयोग बन रहा है।
Karwa Chauth: कहानीः करवा नाम की स्त्री ने की थी पति के प्राणों की रक्षा
पौराणिक मान्यता में करवा चौथ के व्रत को लेकर एक कहानी काफी प्रचलित है। इसके अनुसार तुंगभद्रा नदी किनारे एक स्त्री अपने पति के साथ रहती थी। उस स्त्री का नाम करवा था। एक दिन नदी में स्नान के समय करवा के पति का पैर मगरमच्छ ने पकड़ दिया। स्वयं को संकट में देख पति ने अपनी पत्नी करवा को पुकारा। इस पर करवा वहां पहुंची। कहा जाता है कि करवा पतिव्रता थी इसकारण उसके सतीत्व में काफी शक्ति थी। पति के प्राणों की रक्षा के लिए उसने यमराज से प्रार्थना की। इस पर यमराज ने प्रसन्न होकर उसके उसकी इच्छा पूछी। इस पर करवा ने यमराज से मगरमच्छ के लिए मृत्युदंड मांगा। यमराज के मना करने पर उसने कहा कि यदि वह ऐसा नहीं करेंगे तो वह यमराज को श्राप दे देगी। करवा के सतीत्व की शक्ति और तपोबल के कारण यमराज को उसकी बात माननी पड़ी और यमराज ने मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया। करवा के पति को दीर्घायु का वरदान दिया। इसी समय से करवाचौथ का व्रत प्रचलन में आया।
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