MP: आरक्षण को लेकर करणी सेना v/s भीम आर्मी आमने सामने, भाजपा की बढ़ी मुश्किलें
छिंदवाड़ा: करणी सेना परिवार (Karni sena) जल्द ही जिले में समरसता यात्रा निकालेगी। यात्रा का उद्देश्य सर्व समाज को एक मंच पर लाकर आर्थिक आधार पर आरक्षण की लड़ाई लड़ना होगा। इस तीन दिवसीय यात्रा में जीले के 1500 लोगों को जोड़ने का लक्ष्य है।
इस संबंध में प्रेस क्लब छिंदवाड़ा (Chhindwara) में पत्रकारों के साथ करणी सेना के राजेश सिंह बैस ने बताया कि करणी सेना समाज के सभी वर्गो की है, हर समाज का व्यक्ति संगठन से जुड़ सकता है। संभाग कार्यकारी अध्यक्ष अरुण प्रताप सिंह एवं जिलाध्यक्ष रणधीर सिंह ने चर्चा के दौरान बताया कि जिले में तीन दिवसीय यात्रा निकाल हम हर गांव तक पहुंचने का प्रयास करेंगे। इसकी तिथि संगठन के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता तय करेंगे।
आपको बता दें कि पिछले महिने करणी सेना ने 21 सूत्रिय मांगो को लेकर राजधानी भोपाल में शक्ति प्रदर्शन किया था। लाखों की संख्या में प्रदेश भर से राजपूत समाज के साथ अन्य समाज के लोग पहुंचे थे। करणी सेना के मुखिया जीवन सिंह शेरपुर (Jeevan Singh Sherpur) समेत 5 लोग भूख हड़ताल पर 3 दिनों तक बैठे थे। जिसके बाद शिवराज सरकार के मंत्री अरविंद भदौरिया और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने संगठन के पदाधिकारियों के साथ चर्चा कर 21 में से 18 मांगो पर सहमती जताई थी और अन्य 3 मांगो पर 2 महिनों का समय मांगा था।
करणी सेना दिल्ली में करेगी आंदोलन
करणी सेना के पदाधिकारियों का कहना है कि यदि सरकार समय रहते हमारी मांगे नही मानती है, तो देश की राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन कर सरकार से अपनी बात मनवाएगी।
भीम आर्मी का शक्ति प्रदर्शन
भीम आर्मी (Bheem Army) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद (chandrashekhar Azad) ने चुनाव से पहले सत्ता परिवर्तन के लिए 5 यात्रा निकालने का ऐलान किया है। रविवार को भोपाल के दशहरा मैदान में दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग के साथ जनसैलाब के सामने चंद्रशेखर आजाद ने ये बड़ी घोषना की है। आपको बता दें कि 8 जनवरी को भोपाल में हुए करणी सेना के आंदोलन के बाद भीम आर्मी ने भी आरक्षण के समर्थन में आंदोलन करने का फैसला लिया था।
आंदोलन के सियासी फायदे
पहले करणी सेना और अब भीम आर्मी के इस आंदोलन से भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। बात करें विधानसभा चुनाव 2018 की तो दलित, आदिवासी और सवर्ण वोटरों की भाजपा से बढ़ती नाराजगी के कारण ही प्रदेश में लंबा वनवास काट कर कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई थी। भाजपा अपनी भुल दोहराना नही चाहती है और कांग्रेस भी लगातार दलित और आदिवासी समुदाय को खुश करने में कोई कसर नही छोड़ना चाहती है।
भीम आर्मी की प्रमुख मांगे
- 2 अप्रैल 2018 के केस वापस लिए जाए
- जातिगत जनगणना कराई जाए
- प्रमोशन में आरक्षण
- बैकलॉग भर्ती
- 51 हजार शिक्षकों की भर्ती पर बैन हटाया जाए
- ठेकेदारी प्रथा को बंद किया जाए
- महिला सफाई कर्मचारियों की नाइट शिफ्ट बंद की जाए
- स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए
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